ओबीसी राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर जन संवाद: सर्वे, सुझाव और उपवर्गीकरण पर जोर
अजमेर, 5 दिसम्बर। राजस्थान राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग (राजनैतिक प्रतिनिधित्व) आयोग के जन संवाद कार्यक्रम में पंचायत राज एवं नगर निकायों में ओबीसी के राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर विस्तृत परिचर्चा हुई। इसमें अन्य पिछड़ा वर्ग से जुड़े लोगों ने अपने विचार रखे।
आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश मदन लाल भाटी ने बताया कि राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग की 96 जातियां निवास करती हैं और इनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व संबंधी आंकड़े तैयार किए जा रहे हैं। इसके लिए विभिन्न स्तरों पर कार्य जारी है। सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए व्यापक सर्वे कराया जाएगा, जिसके लिए जिला प्रशासन द्वारा प्रगणक नियुक्त होंगे। मास्टर ट्रेनर द्वारा प्रगणकों का प्रशिक्षण हो रहा है। सर्वे प्रपत्र के 19 कॉलम में विस्तृत जानकारी ली जाएगी तथा एसएसओ आईडी के माध्यम से प्रत्येक सदस्य के सुझाव दर्ज होंगे। सर्वे के आधार पर तैयार सिफारिशें आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। उन्होंने कहा कि आरक्षण के लिए कई मानक तय हैं, जिनमें जनसंख्या मुख्य है। जिन जातियों का प्रतिनिधित्व नगण्य है, उन्हें समुचित अधिकार दिलाने का प्रयास किया जाएगा। पंजीकृत राजनीतिक दलों तथा आमजन से सुझाव आमंत्रित किए गए हैं।
आयोग के सचिव अशोक कुमार जैन ने बताया कि न्यायालय द्वारा ओबीसी को उचित आरक्षण देने संबंधी तीन निर्णय दिए गए हैं। इनकी पालना के लिए आयोग प्रमाणिक अनुभवजन्य आंकड़े जुटा रहा है और प्रत्येक निकाय के लिए पृथक निर्देश जारी किए जाएंगे। परिचर्चा के दौरान जिला परिषद उप जिला प्रमुख हगामी लाल चौधरी ने जनसंख्या के अनुपात में तीन श्रेणियां बनाने की बात कही। पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाड़िया ने क्रिमीलेयर प्रावधान को सख्ती से लागू करने पर जोर दिया। पूर्व महापौर धर्मेन्द्र गहलोत ने आरक्षण में भी आरक्षण की अवधारणा रखी। पूर्व उप महापौर समपत सांख्ला ने जातिगत जनगणना के आधार पर छोटी जातियों को प्रतिनिधित्व देने की आवश्यकता बताई।
जिला परिषद सदस्य दिलीप पचार ने ओबीसी आरक्षण के संवैधानिक प्रावधानों के लिए आयोग से अनुशंसा करने तथा डूंगरपुर-बांसवाड़ा की तर्ज पर 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण लागू करने की बात कही। पार्षद रजनीश चौहान ने जनसंख्या अनुपात में आरक्षण की मांग रखी। राधेश्याम प्रजापत गुढ़ा ने कहा कि राजनीतिक क्षेत्र में बड़ी जातियों को अधिक लाभ मिला। रणवीर सिंह रावणा राजपूत नागौर ने आरक्षण में उप वर्गीकरण तथा टीएसपी क्षेत्र में भी ओबीसी को आरक्षण देने की आवश्यकता बताई। बाल मुकुन्द ने कमजोर वर्ग को अधिक प्रतिनिधित्व देने की मांग की।
अर्जुन नलिया ने कहा कि छोटी जातियों के प्रतिनिधिमंडलों को बुलाकर आयोग को वार्ता करनी चाहिए। ज्ञान सिंह रावत ने रावत समाज को अति पिछड़ा वर्ग में शामिल करने की मांग की। जिला परिषद सदस्य श्रवण सिंह रावत ने कहा कि मीणा जाति से रावत की उपाधि पाने वाले रावत कहलाते हैं और इसीलिए उन्हें मीणा के बराबर दर्जा मिलना चाहिए। नरेन्द्र गोस्वामी ने नगण्य राजनीतिक प्रतिनिधित्व के कारण मंदिरों की भूमि पर कब्जों का मुद्दा उठाया। अरूणा टाक ने ओबीसी महिलाओं के सशक्तीकरण पर जोर दिया।
कार्यक्रम में आयोग के सदस्य गोपाल कृष्ण, प्रो. राजीव सक्सेना, मोहन मोरवाल, पवन मंडाविया, देवनारायण बोर्ड के अध्यक्ष ओमप्रकाश भडाणा, जिला अध्यक्ष जीतमल प्रजापत, अतिरिक्त जिला कलक्टर नरेन्द्र कुमार मीणा, जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी शिवदान सिंह सहित विभिन्न जातियों के प्रतिनिधि एवं अधिकारी उपस्थित रहे।
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