प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 के तहत संभाग स्तरीय वाटरशेड महोत्सव-2025 सम्पन्न जल, भूमि और जन सहभागिता पर हुई विस्तृत चर्चा
अजमेर, 6 दिसम्बर। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 (जलग्रहण घटक) के अंतर्गत शनिवार को संभाग स्तरीय वाटरशेड महोत्सव-2025 का आयोजन हुआ, जिसमें जल, भूमि और जन भागीदारी पर कार्यशाला के माध्यम से चर्चा की गई। जिलेवार लाभार्थी संवाद कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए।
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ने से सामान्य व्यक्ति भी इसकी आवश्यकता को समझने लगा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित संभाग स्तरीय कार्यशालाएं धरती के सुखद भविष्य का सामूहिक संकल्प हैं। जल संरक्षण से कृषि एवं मानव के लिए पर्याप्त जल उपलब्ध रहेगा तथा मृदा क्षरण पर रोक लगेगी। वर्तमान समय में भूजल दोहन अधिक और रिचार्ज कम होने से जल संरक्षण को प्राथमिकता देने की जरूरत है। देवनानी ने कहा कि विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं का नवीनीकरण आवश्यक है और यह कार्य जन सहयोग से ही सफल होगा। उन्होंने पुराने बावड़ियों-तालाबों के संरक्षण और जलग्रहण क्षेत्रों को अतिक्रमण मुक्त रखने की बात कही।
केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि जल संरक्षण से जमीन और किसान दोनों की रक्षा होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में जल को देवता माना गया है और तालाब-बावड़ी निर्माण पुण्य का कार्य है। राजस्थान में भूमि की तुलना में जल कम होने से जल संरक्षण यहां जन आंदोलन का रूप लेना चाहिए। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘एक और वर्षा’ की किसान की कामना जल संरक्षण के उपायों से पूरी की जा सकती है। फार्म पोण्ड इसका उदाहरण बताते हुए उन्होंने कहा कि खेत का पानी खेत में और गांव का पानी गांव में रखने से किसान खुशहाल होंगे। चौधरी ने प्राकृतिक खेती अपनाने तथा रासायनिक उपयोग कम करने पर भी जोर दिया।
जिला प्रभारी एवं जल ग्रहण विभाग के अतिरिक्त निदेशक राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि आगामी 16 दिसम्बर तक विविध कार्यक्रम आयोजित होंगे। उन्होंने कहा कि जल ग्रहण विकास सतत प्रक्रिया है और इसमें समाज के सभी वर्गों की भागीदारी आवश्यक है। जल ग्रहण से संबंधित रील एवं फोटो प्रतियोगिता में राज्य स्तर पर चुनी गई 4 रीलों को 50-50 हजार रुपये तथा 100 फोटोज को एक-एक हजार रुपये का पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
अतिरिक्त संभागीय आयुक्त दीप्ती शर्मा ने जल संरक्षण को वर्तमान समय की आवश्यकतम जरूरत बताया। कार्यक्रम में अजमेर व ब्यावर के पोस्टर, डीडवाना के ट्राईफोल्ड, नागौर की पुस्तिका, भीलवाड़ा के लीफलेट और टोंक के वाटरशेड कैलेंडर का विमोचन किया गया। पीरामल फाउण्डेशन अजमेर एवं टोंक की डॉक्यूमेंट्री भी जारी की गई। संभाग की सर्वश्रेष्ठ परियोजनाओं रायपुर और मूण्डवा की जल ग्रहण समितियों के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया। महोत्सव की शुरुआत कलश यात्रा से हुई।
प्रतिभागियों ने जल ग्रहण से संबंधित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। फार्म पोण्ड के कृषि उत्पादन में उपयोग, कांटे रहित कैक्टस के बहुउपयोगी स्वरूप, वानस्पतिक बीज बैंक के 21 बीजों तथा जल संरक्षण से जुड़े विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित किया गया। राजीविका महिलाओं के उत्पादों को सराहना मिली तथा कठपुतली शो भी आकर्षण का केंद्र रहा।
इस अवसर पर जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी शिवदान सिंह, जल ग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग के अतिरिक्त मुख्य अभियंता दिलीप जादवानी, अधिशाषी अभियंता कपिल भार्गव और श्याम लाल जांगिड़, तथा महोत्सव के नोडल शलभ टंडन उपस्थित रहे।
Latest News
Wed-10-Dec - परिचालन बाधाओं पर जवाबदेही तय: DGCA ने Indigo CEO पीटर एल्बर्स को 11 दिसंबर को तलब किया
Thu-04-Dec - मुख्य मार्गों पर बैठे गौवंश और अव्यवस्थित सफाई को लेकर आयुक्त को रालोपा ने सौंपा ज्ञापन
Mon-01-Dec - जैविक हथियारों पर वैश्विक सुस्ती खतरनाक, सुरक्षा असमान तो दुनिया भी असमान होगी : जयशंकर
Sat-29-Nov - नसीराबाद को देवनारायण योजना से 55 करोड़ की सौगात, सरसड़ी में आवासीय विद्यालय का शिलान्यास