मार्बल नगरी में श्रुतसंवेगी महाश्रमण मुनि आदित्यसागर ससंघ का मंगल प्रवेश धर्मसभा में मुनि आदित्यसागर ने कहा— “उपयोग किया गया ही उपयोगी, बाकी सब व्यर्थ”
मदनगंज-किशनगढ़। आचार्य विशुद्ध सागर के शिष्य श्रुतसंवेगी महाश्रमण मुनि आदित्यसागर (ससंघ) ने रविवार को मार्बल नगरी किशनगढ़ में मंगल प्रवेश किया। सकल दिगंबर जैन समाज ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
शनिवार को रतन इंडस्ट्रीज एरिया से दोपहर विहार कर 90 डिग्री स्टोन पर स्वाध्याय के बाद ससंघ जयपुर रोड स्थित शांति सागर स्मारक पर रात्रि विश्राम हेतु पहुंचा। रविवार सुबह मुनि आदित्यसागर, मुनि अप्रमित सागर, मुनि सहज सागर और क्षुल्लक श्रेयस सागर ने मार्बल नगरी में प्रवेश किया।
पंचायत अध्यक्ष विनोद पाटनी ने बताया कि इंदिरा कॉलोनी स्थित शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर पर समाजजनों ने ससंघ की अगवानी की। बैंड बाजों और महिला मंडलों की उपस्थिति में जुलूस पुरानी मिल्स चौराया से होता हुआ सिटी रोड स्थित जैन भवन मंदिर, आदिनाथ मंदिर, चन्द्रप्रभ मंदिर तथा रूपनगढ़ रोड स्थित मुनिसुव्रतनाथ मंदिर के दर्शन करता हुआ आरके कम्युनिटी सेंटर पहुंचा, जहां धर्मसभा आयोजित हुई। मार्ग में जगह-जगह समाजजनों द्वारा पाद प्रक्षालन, आरती और आशीर्वाद ग्रहण किया गया।
धर्मसभा का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ। मंगलाचरण आरके मार्बल परिवार की शांता पाटनी ने भजन के माध्यम से किया। आचार्य वर्धमान सागर धार्मिक पाठशाला इंदिरा नगर के बच्चों ने भक्ति नृत्य प्रस्तुत किया।
सभा में पाद प्रक्षालन जल से कंवरलाल, महावीर प्रसाद, अशोक कुमार, सुरेशकुमार, विमलकुमार पाटनी परिवार तथा आरके मार्बल द्वारा किया गया। दूध से माणकचंद, सुरेशचंद, रमेशचंद बड़जात्या परिवार ने, केसर से पाद प्रक्षालन महावीरप्रसाद, प्रदीपकुमार, दिलीपकुमार, संदीप गंगवाल परिवार ने किया। शास्त्र भेंट नेमीचंद, महिपाल और ब्रह्मचारी विशाल भैया भोपाल द्वारा की गई। बाहर से आए भक्तों का समाज द्वारा स्वागत अभिनंदन किया गया। मंच संचालन बसंत बैंद ने किया।
प्रचार मंत्री गौरव पाटनी ने बताया कि ससंघ शीतकालीन प्रवास के दौरान आरके कम्युनिटी सेंटर में विराजमान रहेगा। प्रतिदिन सुबह 7:45 बजे नीति कक्षा, 8:45 बजे मंगल प्रवचन, 10:15 बजे आहारचर्या तथा शाम 6:00 बजे श्रुतसमाधान और आरती का आयोजन होगा।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि आदित्यसागर ने कहा कि अपनी पिक्चर का निर्माण अपने हाथ से करना ही बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग अपने माता-पिता के नाम से जाने जाते हैं, जबकि कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके नाम से माता-पिता पहचाने जाते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि त्रिशला माता को महावीर स्वामी ने पहचान दिलाई।
मुनि आदित्यसागर ने ग्रंथ 'राज नीति रहस्य' समझाते हुए कहा कि मनुष्य के पास संग्रहित वस्तुओं में वही उपयोगी है, जिसका वह उपयोग कर चुका है। रुपया-पैसा सब कुछ नहीं है, भूख लगने पर केवल भोजन और जल ही काम आता है। समय के साथ मनुष्य की उपयोगिता भी बदल जाती है।
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