अच्छे-बुरे समय में स्वयं को सहनशील बनाएं : मुनि आदित्यसागर
किशनगढ़। श्रुतसंवेगी महाश्रमण मुनि आदित्यसागर ने सोमवार प्रातः आरके कम्युनिटी सेंटर में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में सुख और गुणों की अभिवृद्धि के लिए नीति विषयों का श्रवण अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में अच्छे-बुरे दोनों प्रकार के समय आते हैं—कभी जय-जयकार, तो कभी हाहाकार, परंतु इन्हीं परिस्थितियों में स्वयं को संभालकर आगे बढ़ना ही जीवन का सार है। मुनि ने कहा कि “जो आपने किया है वही लौटकर आता है, हर समय समान नहीं होता। जिंदगी वैसी ही सामने आती है जैसी आपने जमाई है। इसलिए परिस्थितियाँ चाहे जैसी हों, हमें सहनशील बनना चाहिए।”
मुनि आदित्यसागर ने उदाहरण देते हुए बताया कि गरीब अवस्था में व्यक्ति मेहनत, नियम और पूजा-पाठ का पालन करता है, परंतु अच्छे समय आने पर यदि वही व्यक्ति अपने आचरण और नियमों को छोड़ देता है तो समय पुनः प्रतिकूल भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि अच्छे दिनों में स्वयं को नियंत्रित और संयमित रखना ही सबसे बड़ी साधना है। जितना व्यक्ति सहनशील बनता है, उतनी ही उसकी कीमत बढ़ती है। सभा के पूर्व चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन, पादप्रक्षालन व शास्त्र भेंट का सौभाग्य श्रावक श्रेष्ठी अनिलकुमार, आकाशकुमार, विकास गंगवाल परिवार (दांतरी वाले) को प्राप्त हुआ। सायंकालीन श्रुत-समाधान एवं मुनि श्री की संगीतमय आरती भी संपन्न हुई।
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