नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर आतंक के खिलाफ एक ऐसा अभियान है जो अभी जारी है। उन्होंने बताया कि पिछले 7–8 महीनों में पश्चिमी अरब सागर में भारतीय नौसेना पूरी तरह से हावी रही है और भारत की तैयारियों को देखकर पाकिस्तानी सेना तथा पाकिस्तानी नौसेना भयभीत रही। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी पाकिस्तानी नौसेना अपने बंदरगाहों में ही छिपी रही।
एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि पिछले नौसेना दिवस के बाद से नौसेना लगभग 11,000 जहाज दिवस और 50,000 उड़ान घंटे पूरे कर चुकी है और यह लगातार जारी है। उन्होंने बताया कि 2008 से भारतीय नौसेना लगातार अदन की खाड़ी में एक जहाज समुद्री डकैती विरोधी अभियानों के लिए तैनात कर रही है। अब तक 138 जहाज तैनात किए गए हैं, जिन्होंने विभिन्न देशों के 3,700 से अधिक व्यापारी जहाजों को सुरक्षा प्रदान की है।
एडमिरल त्रिपाठी ने बताया कि 23 नवंबर से लाल सागर संकट शुरू होने के बाद बढ़ती चुनौतियों के बीच नौसेना ने 62 समुद्री डाकुओं को पकड़ा है। हूथियों जैसे गैर-सरकारी तत्वों की बढ़ती गतिविधियों के कारण नौसेना के 40 प्रमुख जहाज, उनके हेलीकॉप्टर और अन्य क्षमताओं के साथ तैनात किए गए हैं। इन जहाजों ने 376 व्यापारी जहाजों पर 152 लाख मीट्रिक टन माल के सुरक्षित परिवहन को सुनिश्चित किया है, जिसकी लागत 6.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर रही। नौसेना इस अवधि में 30 से अधिक घटनाओं का जवाब दे चुकी है और समुद्र में 520 से अधिक लोगों की जान बचा चुकी है।
एडमिरल त्रिपाठी ने बताया कि पिछले वर्ष भारतीय नौसेना के एक जहाज को ओमान के मोटर टैंकर प्रेस्टीज फाल्कन के नौ चालक दल के सदस्यों को बचाने पर अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन से प्रशंसा पत्र मिला। इस मदद को लेकर उन्हें ओमान नौसेना प्रमुख का धन्यवाद पत्र भी प्राप्त हुआ।