धीरज गोमे, जेएनएन, उज्जैन। वैदिक परंपरा के गहन ज्ञान को आमजन तक पहुंचाने की दिशा में उज्जैन के महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय ने बड़ा कदम उठाया है।
शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से विश्वविद्यालय अब बीए ज्योतिर्विज्ञान, बीए वास्तुशास्त्र और एमए भारतीय ज्ञान प्रणाली जैसे विशेष पाठ्यक्रमों को संस्कृत के साथ हिंदी माध्यम से भी पढ़ाएगा।
यह निर्णय उन विद्यार्थियों को बड़ी राहत देगा, जो शास्त्रीय विषयों में रुचि रखते हैं, पर संस्कृत भाषा के कारण इनके अध्ययन से पीछे हट जाते हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि हिंदी माध्यम को विकल्प बनाकर वह समाज के उस बड़े वर्ग को पारंपरिक ज्ञान से जोड़ पाएगा, जो अब तक इससे वंचित है।
इससे न सिर्फ छात्र संख्या बढ़ेगी, बल्कि संस्कृत की ओर एक स्वाभाविक झुकाव भी विकसित होगा। बता दें कि इस समय विश्वविद्यालय में कुल 14 स्नातक, 15 स्नातकोत्तर, 23 डिप्लोमा और 11 सर्टिफिकेट कोर्स संचालित हो रहे हैं।