रक्षा वित्तीय शासन को मजबूती देने के लिए दिल्ली में ‘कंट्रोलर कॉन्फ्रेंस-2025’, रक्षा मंत्री करेंगे उद्घाटन
26.8 लाख करोड़ रुपये के रक्षा बजट और पेंशन के लिए समर्पित 1.7 लाख करोड़ रुपये के प्रबंधन में अहम भूमिका निभा रहे रक्षा विभाग की चुनौतियों की समीक्षा, सुधारों की शुरुआत और वित्तीय प्रशासन की भूमिका को मजबूत करने के उद्देश्य से एक प्रमुख रक्षा सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। यह सम्मेलन सात से नौ जुलाई तक दिल्ली में आयोजित होगा, जिसका उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, ‘कंट्रोलर कॉन्फ्रेंस-2025’ का आयोजन रक्षा लेखा विभाग द्वारा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) भवन में किया जा रहा है। उद्घाटन समारोह में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान, तीनों सेना प्रमुख, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, वित्तीय सलाहकार (रक्षा सेवाएं) एस जी दस्तीदार और रक्षा लेखा महानियंत्रक मयंक शर्मा भी उपस्थित रहेंगे।
मंत्रालय ने इस सम्मेलन को भारत के रक्षा वित्तीय ढांचे के भविष्य को आकार देने वाले एक अहम मंच के रूप में चिह्नित किया है। इसका उद्देश्य चुनौतियों का मूल्यांकन करना, सुधार आरंभ करना और रक्षा तैयारियों में वित्तीय शासन की भूमिका को आगे बढ़ाना है।
इस वर्ष के सम्मेलन का विषय ‘रक्षा वित्त और अर्थशास्त्र के माध्यम से वित्तीय सलाह, भुगतान, लेखा परीक्षा और लेखांकन में परिवर्तन’ है, जो विभाग के भीतर एक आमूलचूल बदलाव को दर्शाता है। यह रक्षा विभाग को एक पारंपरिक वित्त और लेखा निकाय से भविष्य के लिए तैयार रक्षा वित्त और अर्थशास्त्र पर केंद्रित संस्था में बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
अधिकारियों के अनुसार, यह परिवर्तन रक्षा मंत्री द्वारा पिछले वर्ष एक अक्टूबर को व्यक्त की गई रणनीतिक दृष्टि से प्रेरित है, जो आंतरिक रूप से संचालित, समावेशी और उभरती राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं के अनुरूप है।
सम्मेलन के दौरान आठ उच्च-स्तरीय व्यावसायिक सत्र (मनन सत्र) आयोजित किए जाएंगे, जिनमें बजट और लेखा सुधार, आंतरिक लेखा परीक्षा पुनर्गठन, सहयोगात्मक अनुसंधान, मूल्य निर्धारण नवाचार और क्षमता निर्माण जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल होंगे।
इन सत्रों में प्रतिस्पर्धी और आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग के लिए रणनीतिक समर्थन के साथ राजकोषीय प्रबंधन को संतुलित करने में एकीकृत वित्तीय सलाहकारों (आईएफए) की उभरती भूमिका पर भी विचार किया जाएगा।
मंत्रालय के अनुसार, पिछले ‘कंट्रोलर कॉन्फ्रेंस’ के बाद से रक्षा विभाग ने 206 संपर्क कार्यक्रम आयोजित किए हैं और पूरे देश में 200 से अधिक सेवा केंद्र स्थापित किए हैं।
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