अमीर-गरीब के बीच बढ़ती खाई पर नितिन गडकरी चिंतित, कहा- दौलत का बंटवारा जरूरी
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने देश में अमीर और गरीब के बीच बढ़ती आर्थिक खाई पर गहरी चिंता जताई है। शनिवार को नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि देश में गरीबों की तादाद लगातार बढ़ रही है और दौलत कुछ गिने-चुने अमीरों के हाथों में सिमटती जा रही है।
गडकरी ने कहा कि अर्थव्यवस्था को इस दिशा में आगे बढ़ाया जाना चाहिए, जिससे रोजगार के अवसर पैदा हों और गांवों का विकास हो। उन्होंने कृषि, मैन्युफैक्चरिंग, टैक्सेशन और इंफ्रास्ट्रक्चर में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप जैसे मुद्दों पर भी अपनी बात रखी।
उन्होंने साफ शब्दों में कहा, "धीरे-धीरे गरीबों की गिनती बढ़ रही है और दौलत कुछ अमीरों के पास इकट्ठा हो रही है। ऐसा नहीं होना चाहिए। दौलत का विकेंद्रीकरण जरूरी है और इस दिशा में कई बदलाव भी हुए हैं।"
गडकरी ने इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्रियों पी.वी. नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने उदार आर्थिक नीतियों को अपनाया, लेकिन इसके बावजूद पूंजी का केंद्रीकरण नहीं रोक पाए।
भारत की आर्थिक संरचना का विश्लेषण करते हुए गडकरी ने बताया कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से जीडीपी में 22-24 फीसदी, सर्विस सेक्टर से 52-54 फीसदी और कृषि से मात्र 12 फीसदी का योगदान आता है, जबकि कृषि पर ग्रामीण आबादी का 65-70 फीसदी हिस्सा निर्भर है।
गडकरी ने स्वामी विवेकानंद का हवाला देते हुए कहा, "खाली पेट वाले को दर्शन नहीं सिखाया जा सकता।" इस टिप्पणी के जरिए उन्होंने सामाजिक और आर्थिक संतुलन बनाए रखने की जरूरत पर बल दिया।
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