शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, याचिका खारिज
मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़े भूमि विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाया। अदालत ने श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मस्जिद को "विवादित संरचना" घोषित करने की मांग की गई थी।
यह याचिका मथुरा के उस स्थल से जुड़ी है, जहां हिंदू पक्ष का दावा है कि भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर एक मंदिर को ध्वस्त कर औरंगजेब के शासनकाल में यह मस्जिद बनाई गई थी। याचिकाकर्ता ने अदालत में तर्क दिया कि मस्जिद की दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं के प्रतीक मौजूद हैं और मुस्लिम पक्ष ने इसे मस्जिद साबित करने के लिए कोई ठोस दस्तावेजी सबूत पेश नहीं किया है।
महेंद्र प्रताप सिंह की ओर से यह भी कहा गया कि शाही ईदगाह का कोई खसरा-खतौनी रिकॉर्ड, नगरपालिका दस्तावेज या कर भुगतान का प्रमाण नहीं है, इसलिए इसे मस्जिद के रूप में मान्यता नहीं दी जानी चाहिए।
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा ने की थी, जिन्होंने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। शुक्रवार को समय पर फैसला सुनाते हुए न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी।
मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में तर्क दिया कि शाही ईदगाह 400 साल से भी अधिक समय से उसी स्थान पर स्थित है और इसे विवादित घोषित करने की मांग पूरी तरह निराधार है। हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलीलों से सहमति जताते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
यह याचिका हिंदू पक्ष की ओर से दायर की गई ऐसी 18 याचिकाओं में से एक थी, जो मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि के आसपास की भूमि पर दावे को लेकर दाखिल की गई हैं।
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