नई दिल्ली। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने कहा है कि दिवालिया एवं दिवालियापन संहिता (IBC) प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) को दरकिनार नहीं कर सकती।
एनसीएलएटी ने स्पष्ट किया कि ईडी द्वारा कुर्क की गई और सक्षम प्राधिकारी द्वारा सत्यापित की गई किसी कर्ज में डूबी कंपनी की संपत्ति को उसके समाधान के लिए जारी नहीं किया जा सकता।
अपीलीय न्यायाधिकरण ने कहा, "आईबीसी की धारा-14 के तहत समाधान के उद्देश्य से उन संपत्तियों पर रोक लगाई जाती है। लेकिन अगर संपत्ति को &39;अपराध की आय&39; माना जाता है और पहले से ही दंडात्मक कानून के तहत सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्णय लिया जा रहा है, तो ऐसी संपत्ति को स्वतंत्र रूप से उपलब्ध समाधान संपत्ति का हिस्सा नहीं माना जा सकता।"
एनसीएलएटी ने कहा कि यदि ईडी द्वारा पीएमएलए के तहत वैध रूप से कोई कुर्की की जाती है, जिसका सत्यापन किया गया है, तो इसे IBC के तहत पूर्ववत स्थिति में नहीं लाया जा सकता।
एनसीएलएटी की तीन सदस्यीय पीठ ने अन्य कानूनों पर अधिभावी प्रभाव वाली IBC की धारा-238 का हवाला देते हुए कहा कि यह अपराध की आय से जुड़ी कार्यवाही के संबंध में पीएमएलए को ओवरराइड नहीं कर सकती।