एनआईए के विरोध के बाद आनंद तेलतुम्बडे ने विदेश यात्रा की याचिका वापस ली
2018 के एल्गर परिषद मामले में आरोपी कार्यकर्ता और शिक्षाविद आनंद तेलतुम्बडे ने बुधवार को शैक्षणिक कार्यों के लिए विदेश यात्रा की अनुमति मांगने वाला अपना आवेदन वापस ले लिया। उन्होंने ज़मानत की शर्तों में अस्थायी संशोधन की मांग की थी ताकि उन्हें प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में व्याख्यान और संगोष्ठियों में भाग लेने की अनुमति मिल सके।
हालाँकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने वकील चिंतन शाह के माध्यम से इस याचिका पर आपत्ति जताई और फरार होने का जोखिम बताया। शाह ने दलील दी कि तेलतुम्बडे निस्तारित ज़मानत याचिका की शर्तों में बदलाव करने की कोशिश कर रहे थे और व्याख्यान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए दिए जा सकते हैं। शाह ने अदालत से कहा कि आरोपी के फरार होने की संभावना है।
खंडपीठ ने एनआईए की आपत्तियों को सुनने के बाद तेलतुम्बडे के वकीलों, वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई और अधिवक्ता देवयानी कुलकर्णी से कहा कि एनआईए के हलफनामे के आलोक में इस अनुरोध पर विचार नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि आप वीसी के ज़रिए व्याख्यान दे सकते हैं, वरना मत जाइए। यदि फरार होने की आशंका जताई गई है, तो अनुमति नहीं दी जा सकती।
अदालत ने यह भी कहा कि तेलतुम्बडे की रिहाई की अर्जी निचली अदालत ने खारिज कर दी थी और उस फैसले के खिलाफ अपील अभी उच्च न्यायालय में लंबित है। पीठ ने संकेत दिया कि अपील की सुनवाई के दौरान वे विदेश यात्रा का अनुरोध कर सकते हैं।
देसाई ने तर्क दिया कि प्रस्तावित यात्रा के दौरान तेलतुम्बडे की पत्नी भारत में रहेंगी और अन्य लोगों को भी इस तरह की अनुमति दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि तेलतुम्बडे की दोनों बेटियाँ विदेश में रहकर काम कर रही हैं और दोनों ही भारतीय नागरिक हैं।
इन दलीलों के बावजूद अदालत संतुष्ट नहीं हुई। पीठ द्वारा राहत देने में अनिच्छा के मद्देनजर, तेलतुम्बडे ने अपनी याचिका वापस ले ली और अगले साल इसी तरह का अनुरोध आने पर नई अर्जी दाखिल करने की स्वतंत्रता सुरक्षित रखी।
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