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विजयादशमी भाषण में मोहन भागवत का संदेश: स्वदेशी पर भरोसा, अमेरिका की टैरिफ नीति पर निशाना

:: Editor - Omprakash Najwani :: 02-Oct-2025
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नागपुर।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी के अवसर पर नागपुर में दिए अपने वार्षिक भाषण में अमेरिका की टैरिफ नीति की आलोचना करते हुए स्वदेशी और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वैश्विक निर्भरता मजबूरी नहीं बननी चाहिए और भारत को दुनिया के सामने उदाहरण पेश करना चाहिए।

भागवत ने कहा कि अमेरिका ने अपनी टैरिफ नीति केवल अपने हितों को ध्यान में रखकर बनाई है, जिससे पूरी दुनिया प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि दुनिया एक-दूसरे पर निर्भर होकर चलती है, लेकिन यह निर्भरता मजबूरी नहीं बननी चाहिए। भारत को स्वदेशी पर भरोसा करते हुए आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करना होगा और मित्र देशों के साथ संबंध मजबूरी में नहीं बल्कि अपनी इच्छा से कायम रखने होंगे।

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि दुनिया आज वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए भारत की ओर देख रही है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मांड चाहता है कि भारत दुनिया को राह दिखाए। भागवत ने भारत की अनूठी विविधता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब भी कोई विदेशी विचारधारा भारत आई, हमने उसे अपनाया। लेकिन आज इस विविधता को भिन्नता में बदलने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि किसी भी आस्था या विश्वास का अपमान न हो।

भागवत ने चेताया कि समाज में विभिन्न मान्यताओं वाले लोग साथ रहते हैं, तो समय-समय पर शोर और अराजकता हो सकती है, लेकिन यह सुनिश्चित होना चाहिए कि सद्भाव और कानून का उल्लंघन न हो। उन्होंने कहा कि कानून हाथ में लेना, हिंसा और गुंडागर्दी का सहारा लेना और किसी विशेष समुदाय को भड़काने की कोशिश करना पूर्व नियोजित षड्यंत्र का हिस्सा है।

अपने भाषण में भागवत ने महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी न केवल स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी सेनानी थे, बल्कि स्वतंत्र भारत की कल्पना में भी उनका विशेष योगदान रहा। वहीं लाल बहादुर शास्त्री सादगी, विनम्रता, सत्यनिष्ठा और दृढ़ संकल्प के प्रतीक थे, जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया।

भागवत ने कहा कि शास्त्री राष्ट्र के प्रति समर्पण और सेवा के अनुकरणीय प्रतीक हैं और वे हमें सिखाते हैं कि सच्चे अर्थों में मानव बनकर कैसे जीवन जिया जाए।


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