जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में 2 अक्टूबर को विजयादशमी के अवसर पर निकाले गए 'विसर्जन शोभा यात्रा' के दौरान दो छात्र गुटों में हिंसक झड़प हो गई। विवाद की जड़ विश्वविद्यालय छात्र संघ द्वारा आयोजित प्रतीकात्मक 'रावण दहन' को बताया जा रहा है।
जेएनयूएसयू के संयुक्त सचिव वैभव मीणा ने बताया कि साबरमती ढाबा पर आयोजित इस कार्यक्रम में अफ़ज़ल गुरु, उमर खालिद, शरजील इमाम, जी साईं बाबा और चारु मजूमदार सहित नक्सली या वामपंथी आंदोलनों से जुड़े व्यक्तियों के पुतले और पोस्टर जलाए गए। मीणा के अनुसार इस कृत्य का उद्देश्य परिसर में "नक्सल जैसी ताकतों" का प्रतीकात्मक खंडन करना था। पुतले दहन के बाद दुर्गा प्रतिमाओं के साथ छात्रों ने पूरे परिसर में विसर्जन शोभा यात्रा निकाली।
वामपंथी छात्र समूहों ने इस घटना को भड़काऊ करार दिया और आरोप लगाया कि आयोजकों ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और शरजील इमाम को गलत तरीके से दुष्ट व्यक्ति के रूप में पेश किया। जेएनयूएसयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कहा कि समस्या तब शुरू हुई जब ऑनलाइन पोस्टर प्रसारित हुए जिनमें खालिद और इमाम के पुतले जलाने की बात कही गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि वे गोडसे का पुतला नहीं जला रहे, बल्कि लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए आवाज़ उठाने वालों को निशाना बना रहे हैं।
वामपंथी छात्र समूह साबरमती टी पॉइंट पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान जब दुर्गा विसर्जन जुलूस वहां से गुजरा तो दोनों गुट आमने-सामने आ गए और तनाव बढ़ गया। मीणा ने आरोप लगाया कि वामपंथी समूहों ने यात्रा में शामिल छात्रों पर चप्पल और जूते फेंके, जिससे कुछ छात्र घायल हो गए। उन्होंने कहा कि छात्र संघ इस घटना के संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराएगा।