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मुख्य न्यायाधीश गवई बोले – भारत संविधान से चलेगा, बुलडोजर शासन से नहीं

:: Editor - Omprakash Najwani :: 04-Oct-2025
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पोर्ट लुई (मॉरीशस)।भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि भारत क़ानून के शासन से संचालित होने वाला देश है, जहाँ शासन संविधान और क़ानून के ज़रिए चलता है, न कि मनमानी या सत्ता के ज़रिए। मॉरीशस में क़ानून के शासन स्मारक व्याख्यान में बोलते हुए उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों सहित हर व्यक्ति को क़ानून का पालन करना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश गवई ने स्वीकार किया कि इतिहास में कानून के नाम पर अन्याय हुआ है — जैसे गुलामी या औपनिवेशिक कानून — लेकिन उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि वास्तविक कानून वह है जो न्याय, समानता और निष्पक्षता को कायम रखता है। उन्होंने कहा कि भारत संविधान से चलेगा, बुलडोजर शासन से नहीं। बिना सुनवाई या कानूनी प्रक्रिया के किसी का घर गिराना कानून के शासन का उल्लंघन है।

मुख्य न्यायाधीश गवई ने भारत और मॉरीशस के गहरे ऐतिहासिक संबंधों की सराहना की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने उपनिवेशवाद की कठिनाइयों को सहन किया है और अब स्वतंत्र व लोकतांत्रिक समाजों के रूप में साथ खड़े हैं। उन्होंने महात्मा गांधी के दर्शन का उल्लेख करते हुए कहा कि किसी भी निर्णय का मूल्यांकन सबसे गरीब और सबसे हाशिए पर पड़े व्यक्ति पर उसके प्रभाव से किया जाना चाहिए।

डॉ. भीमराव आंबेडकर का हवाला देते हुए गवई ने कहा कि संविधान ने सत्ता के दुरुपयोग को रोकने और सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक नियम और प्रक्रियाएँ निर्धारित की हैं। उन्होंने कहा कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय हमेशा कानून के शासन को कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध रहा है और इस दिशा में कई ऐतिहासिक निर्णय दिए हैं।

मुख्य न्यायाधीश गवई द्वारा उद्धृत प्रमुख सर्वोच्च न्यायालय के फैसले:

  • केशवानंद भारती मामला (1973): संसद संविधान के मूल ढांचे में बदलाव नहीं कर सकती।

  • मेनका गांधी मामला (1978): प्रत्येक कानून न्यायसंगत, निष्पक्ष और उचित होना चाहिए।

  • तीन तलाक मामला (2017): इस प्रथा को मनमाना और असंवैधानिक घोषित किया गया।

  • चुनावी बांड मामला (2024): राजनीतिक दलों के वित्तपोषण में पारदर्शिता की आवश्यकता पर बल दिया गया।


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