लेह।
लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद हालात संवेदनशील बने हुए हैं, लेकिन लेह में कर्फ्यू में ढील मिलने से स्थानीय निवासियों को राहत मिली है। गुरुवार को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक बाजार खोलने की अनुमति दी गई, जिसके बाद सड़कों पर वाहनों और पैदल यात्रियों की भीड़ देखी गई। एक स्थानीय निवासी ने बताया कि एक हफ्ते से बाजार बंद थे, ऐसे में लोगों को आखिरकार राहत मिली है।
ये विरोध प्रदर्शन लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर शुरू हुए थे, जो बाद में पुलिस अधिकारियों के साथ झड़पों में बदल गए। 24 सितंबर को हुई हिंसा में पुलिस की जवाबी कार्रवाई के दौरान चार लोगों की मौत हो गई थी, जब प्रदर्शनकारियों ने एक राजनीतिक पार्टी के कार्यालय में आग लगा दी थी।
इस बीच, उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने कहा कि केंद्र सरकार लद्दाख की सभी उम्मीदों को पूरा करने के लिए काम कर रही है। उन्होंने एएनआई से बातचीत में कहा कि लद्दाख के नेता प्रशासन के साथ संवाद कर रहे हैं और माहौल बनते ही बातचीत की प्रक्रिया शुरू होगी। गुप्ता ने कहा कि प्रशासन लोगों के हितों का प्रतिनिधित्व करने की कोशिश कर रहा है और समाधान की दिशा में प्रयास जारी हैं।
एलजी गुप्ता ने रोजगार सृजन पर जोर देते हुए बताया कि लगभग 1,000 पदों के लिए विज्ञापन दिया गया है। इसके साथ ही पर्यटन, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में भी नए अवसर सृजित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लद्दाख में 18,000 एमएसएमई इकाइयाँ सक्रिय हैं, जिनमें 50,000 से ज्यादा लोग कार्यरत हैं।
बुधवार को उपराज्यपाल ने केंद्र शासित प्रदेश की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में मुख्य सचिव पवन कोतवाल, पुलिस महानिदेशक एसडी सिंह जामवाल, डीआईजी श्रीनगर दक्षिण पीके सिंह, लेह के उपायुक्त, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार, सीओ 79 रजत जैन, सीओ 25 और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। अधिकारियों ने क्षेत्र की नवीनतम सुरक्षा स्थिति और शांति बनाए रखने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी उपराज्यपाल को दी।