चीन ने दिखाई सख्ती, भारत के लिए सबक: तांग रेनजियान को भ्रष्टाचार में मृत्युदंड की सजा
चीन में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाते हुए कृषि और ग्रामीण मामलों के पूर्व मंत्री तांग रेनजियान को रिश्वतखोरी के मामले में मृत्युदंड के साथ दो साल की स्थगित सजा सुनाई गई है। तांग रेनजियान पर 2007 से 2024 तक विभिन्न पदों पर रहते हुए 268 मिलियन युआन (करीब 37.6 मिलियन डॉलर) की रिश्वत लेने का आरोप था। चीनी न्यायपालिका ने केवल छह महीने में जांच और कार्रवाई पूरी कर उन्हें भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के तहत पद से हटा दिया।
अदालत ने कहा कि यह मामला इस बात का संकेत है कि चीन में सत्ता का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस फैसले ने प्रशासनिक तंत्र और समाज में स्पष्ट संदेश दिया है कि भ्रष्टाचार एक गंभीर अपराध है और इसके लिए उच्चतम स्तर पर भी कड़ी सजा दी जाएगी।
इसके विपरीत, भारत में भ्रष्टाचार विरोधी कानून मौजूद होने के बावजूद कार्रवाई धीमी और कमजोर दिखती है। सीबीआई, ईडी और लोकपाल जैसी संस्थाएं जांच तो करती हैं, लेकिन राजनीतिक दबाव, लंबी न्यायिक प्रक्रिया और पक्षपात के कारण दोषियों को सजा देर से मिलती है या फिर हल्की रहती है। नतीजा यह होता है कि नेताओं और अधिकारियों के मन में कानून का भय उत्पन्न नहीं होता और भ्रष्टाचार निचले स्तर तक फैल जाता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को चीन के उदाहरण से सीख लेकर भ्रष्टाचार विरोधी ढांचे को सख्त और त्वरित बनाना चाहिए। केवल कानून होने भर से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि उन्हें लागू करने की दृढ़ इच्छा, प्रशासनिक ईमानदारी और राजनीतिक स्वतंत्रता भी उतनी ही जरूरी है।
तांग रेनजियान के मामले से यह स्पष्ट हो गया है कि सख्त कार्रवाई न केवल दोषियों को सजा देती है, बल्कि अन्य अधिकारियों के लिए चेतावनी भी बनती है। भारत में भी इसी तरह की त्वरित और कठोर कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि भ्रष्ट नेताओं और
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