रक्षा नवाचार संवाद में बोले राजनाथ सिंह — विकसित भारत के तीन लक्ष्य तय, आत्मनिर्भरता और तकनीकी नेतृत्व पर जोर
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 'रक्षा नवाचार संवाद' में कहा कि महत्वपूर्ण रक्षा क्षमताओं में उच्च आत्मनिर्भरता प्राप्त करना, रक्षा क्षेत्र में एक प्रमुख वैश्विक निर्यातक बनना और अत्याधुनिक तकनीकों में अग्रणी बनना ही ‘विकसित भारत’ का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि इन तीनों लक्ष्यों की प्राप्ति से भारत रक्षा नवाचार में विश्व का अग्रणी देश बनेगा और गैर-संपर्क युद्ध जैसी आधुनिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होगा।
राजनाथ सिंह ने कहा कि 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को पाने के लिए हमें तीन बातों को ध्यान में रखना होगा — पहला, महत्वपूर्ण रक्षा क्षमताओं में उच्च आत्मनिर्भरता; दूसरा, रक्षा क्षेत्र में प्रमुख वैश्विक निर्यातक बनना; और तीसरा, अत्याधुनिक तकनीकी क्षेत्रों में अग्रणी बनना। उन्होंने कहा कि अगर भारत इन तीनों लक्ष्यों को प्राप्त करता है तो न केवल 2047 तक विकसित राष्ट्र बनेगा बल्कि रक्षा नवाचार के क्षेत्र में भी अग्रणी होगा।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज का युद्ध पूरी तरह तकनीक-उन्मुख हो गया है। ऑपरेशन सिंदूर में हमने देखा कि ड्रोन, ड्रोन-रोधी युद्ध और वायु रक्षा प्रणालियों जैसे गैर-संपर्क युद्ध का महत्व काफी बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि देश को न केवल एआई और क्वांटम तकनीक जैसी मौजूदा अत्याधुनिक तकनीकों में महारत हासिल करनी चाहिए बल्कि भविष्य की उन तकनीकों पर भी विचार करना चाहिए जिनकी दुनिया ने अभी कल्पना भी नहीं की है।
राजनाथ सिंह ने बताया कि 2021-22 में घरेलू स्रोतों से भारत का पूंजी अधिग्रहण लगभग 74,000 करोड़ रुपये था, जो 2024-25 के अंत तक बढ़कर लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव केवल आंकड़ों का नहीं, बल्कि सोच का भी प्रतीक है
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