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पाकिस्तान की नई ड्रोन चाल: ‘फेल-सेफ’ सिस्टम से हथियार व नशे की तस्करी, भारत ने बढ़ाई तकनीकी चौकसी

:: Editor - Omprakash Najwani :: 14-Oct-2025
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पाकिस्तान की आईएसआई समर्थित तस्करी नेटवर्क एक बार फिर सक्रिय हो गया है और ड्रोन के ज़रिए हथियार, ग्रेनेड और नशे की खेपें भारत में भेजने की गतिविधियां तेज़ हो गई हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद कुछ समय तक यह नेटवर्क शांत था, पर अब नई तकनीकी रणनीति के साथ लौट आया है। पंजाब की 532 किलोमीटर लंबी सीमा पर सुरक्षा एजेंसियों ने हाल के दिनों में देखा कि पाकिस्तान से आने वाले कई ड्रोन भारतीय वायुक्षेत्र में घुसने के बाद अचानक लौट जा रहे हैं।

रिपोर्टों के अनुसार, यह कोई तकनीकी गड़बड़ी नहीं, बल्कि पाकिस्तान की नई “फेल-सेफ” रणनीति है, जिसके तहत ड्रोन भारतीय एंटी-ड्रोन सिस्टम (ADS) के सिग्नल जाम करते ही अपने लांच-प्वाइंट की दिशा में लौट जाते हैं। इस तरह पाकिस्तान को दोहरा फायदा मिलता है— एक, ड्रोन भारत की पकड़ में नहीं आते; दूसरा, उनकी नियंत्रण प्रणाली की पहचान नहीं हो पाती।

पंजाब पुलिस के अनुसार, रोज़ाना 8 से 15 ड्रोन डिटेक्ट किए जा रहे हैं और अधिकांश कोशिशें नाकाम की जा रही हैं। भले ही ड्रोन लौट रहे हों, पर नशे और हथियारों की तस्करी का सिलसिला जारी है। पंजाब सरकार ने ‘युद्ध नशे के विरुद्ध’ अभियान के तहत तीन वाहन-आधारित एंटी-ड्रोन सिस्टम तैनात किए हैं। नौ ऐसे सिस्टम लगाने की योजना है जिन पर करीब ₹51 करोड़ खर्च होंगे। इन ADS इकाइयों ने अब तक उल्लेखनीय सफलता हासिल की है।

तरनतारण पुलिस ने भिखीविंड क्षेत्र में 12 एफआईआर दर्ज की हैं, जिनमें चार पिस्तौल, 75 गोलियां, पाँच मैगज़ीन, तीन किलो हेरोइन, करीब 500 ग्राम “आइस” ड्रग और आधा किलो अफ़ीम बरामद की गई है। अब पुलिस को ड्रोन की सटीक लोकेशन, ऊँचाई और स्पीड तक का डेटा रियल-टाइम में मिल रहा है।

भिखीविंड के डीएसपी प्रीतिंदर सिंह के अनुसार, “कई बार ड्रोन इतनी ऊँचाई या दूरी पर होते हैं कि जामिंग प्रभावी नहीं हो पाती। लेकिन डिटेक्शन सिस्टम की मदद से हमने कई बार खेपें बरामद की हैं और गिरोहों को पकड़ा है।”

सीमा सुरक्षा के इस नए दौर में भारत अब केवल बाड़ पर नहीं, बल्कि तकनीकी चौकसी पर निर्भर है। विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले समय में पाकिस्तानी ड्रोन “स्वचालित लैंडिंग”, “साइलेंट प्रोपेलर” और “विजुअल स्टेल्थ” जैसी तकनीक से लैस हो सकते हैं। ऐसे में भारत के लिए “डिजिटल सीमाओं की रक्षा” ही नई चुनौती है।

अब यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान की हर चाल पर भारत की निगाह है — हर उड़ान देखी जा रही है और हर वापसी रिकॉर्ड की जा रही है। यह संकेत है कि सीमा पार अब डर बढ़ रहा है क्योंकि भारत की तकनीकी चौकसी पहले से कहीं अधिक मज़बूत हो चुकी है।


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