केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ द्वारा आयोजित नियंत्रक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का रक्षा बजट दुनिया के कुछ देशों की सकल घरेलू उत्पाद से भी बड़ा है। उन्होंने कहा कि जब लोगों की मेहनत की कमाई का एक बड़ा हिस्सा रक्षा मंत्रालय को आवंटित किया जाता है, तो यह हमारी जिम्मेदारी को और अधिक बढ़ा देता है।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हमें प्रभावी विकास की आवश्यकता है और रक्षा व्यय ऐसा होना चाहिए जिससे न केवल बजट बढ़े बल्कि उसका सही समय पर सही उद्देश्य के लिए उचित उपयोग भी सुनिश्चित हो।
राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा अधिग्रहण परिषद ने पहली बार GeM पोर्टल से पूंजीगत खरीद की अनुमति दी है, जो एक सराहनीय कदम है। साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि विभाग अब रक्षा कर्मियों के लिए व्यापक वेतन प्रणाली और केंद्रीकृत डेटाबेस प्रबंधन पर भी कार्य कर रहा है।
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि दुनिया अब भारत के रक्षा क्षेत्र की ओर देख रही है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए बताया कि भारतीय सैनिकों के साहस और घरेलू उपकरणों की क्षमता के प्रदर्शन से स्वदेशी रक्षा उत्पादों की मांग में भारी वृद्धि हुई है।
उन्होंने बताया कि 2024 में वैश्विक सैन्य व्यय 2.7 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो गया है और यह एक बड़ा बाजार है जो भारत का इंतजार कर रहा है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी भी संगठन में परिवर्तनकारी सुधार लाने के दो तरीके होते हैं – या तो बाहरी रिपोर्ट और परामर्शदाताओं की मदद से, या फिर सेवानिवृत्त अधिकारियों के अनुभव से। यह दोनों ही रास्ते अच्छे हैं क्योंकि इनसे संस्थाओं में नए विचार आते हैं और उत्पादकता बढ़ती है।
उन्होंने रक्षा लेखा विभाग की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि यह विभाग केवल कागजी काम तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के सुरक्षा ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने कहा कि जब यह विभाग ईमानदारी और दक्षता से काम करता है, तो उसका असर सीमा पर तैनात जवानों तक भी पहुंचता है।
राजनाथ सिंह ने रक्षा लेखा विभाग के नए आदर्श वाक्य “सतर्क, चुस्त, अनुकूल” का जिक्र करते हुए कहा कि ये शब्द इसकी कार्य संस्कृति का सार हैं।