सपा से निष्कासन के बाद पूजा पाल का पत्र, अखिलेश यादव पर लगाए गंभीर आरोप
समाजवादी पार्टी से निष्कासन के कुछ दिन बाद चायल विधायक पूजा पाल ने पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को पत्र लिखकर उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें बीच रास्ते में अपमानित कर छोड़ दिया गया और इससे संगठन के भीतर आपराधिक तत्वों को मज़बूती मिली है। पाल ने लिखा कि उनका निष्कासन सिर्फ व्यक्तिगत मामला नहीं है, बल्कि राज्य के पिछड़े वर्गों, दलितों और आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों की आवाज़ दबाने की कोशिश है।
अपने एक्स अकाउंट पर पत्र साझा करते हुए पूजा पाल ने लिखा, “अन्याय और विश्वासघात के खिलाफ मेरी आवाज़
पार्टी से निष्कासन सिर्फ मेरे बारे में नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश के पिछड़ों, दलितों और ग़रीबों की आवाज़ को दबाने की कोशिश है। मैंने न्याय की लड़ाई लड़ी है और लड़ती रहूँगी।” उन्होंने सवाल उठाया कि उनके स्पष्टीकरण से यह स्पष्ट हो सकता था कि क्या अखिलेश यादव सच में पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों (पीडीए) के रक्षक हैं।
पूजा पाल ने कहा कि वह सपा में इसलिए शामिल हुईं क्योंकि उन्हें लगा कि यह पार्टी पिछड़े समुदाय को न्याय दिला सकती है। लेकिन सपा सरकार के दौरान अपने पति और बसपा विधायक राजू पाल की हत्या में न्याय के लिए उनकी कोशिशें विफल रहीं। राजू पाल की 2005 में प्रयागराज में शादी के कुछ दिनों बाद ही हत्या कर दी गई थी। इसके अलावा, फरवरी 2023 में हत्या के गवाह उमेश पाल की भी प्रयागराज में हत्या कर दी गई।
भाजपा सरकार की प्रशंसा करते हुए पूजा पाल ने कहा कि लंबे समय से लंबित न्याय उन्हें भाजपा शासन में ही मिला। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को वोट देने के कारण उन्हें सपा से निकाला गया, जबकि अखिलेश यादव ने खुद कुछ दिनों बाद दिल्ली में कॉन्स्टिट्यूशनल क्लब चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को वोट दिया था।
उन्होंने अखिलेश यादव पर “अहंकार” का आरोप लगाते हुए कहा कि इसी वजह से एक पिछड़े समुदाय की विधवा को पार्टी से निकाल दिया गया। पूजा पाल ने यह भी दावा किया कि उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा है और जान से मारने की धमकियाँ मिल रही हैं। उन्होंने पत्र के अंत में लिखा कि अगर उन्हें कुछ भी होता है, तो इसके लिए समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव ज़िम्मेदार होंगे।
गौरतलब है कि चायल से विधायक पूजा पाल को समाजवादी पार्टी ने पार्टी विरोधी गतिविधियों और अनुशासनहीनता, विशेषकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की “ज़ीरो टॉलरेंस नीति” की प्रशंसा करने के कारण निष्कासित किया था।