सद्गुरु जगदीश वासुदेव का 67वां जन्मदिन, योग और अध्यात्म को समर्पित जीवन
ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जगदीश वासुदेव सोमवार 3 सितंबर को अपना 67वां जन्मदिन मना रहे हैं। कोयंबटूर स्थित यह फाउंडेशन मानव सेवा और ध्यान-योग के लिए समर्पित है। सद्गुरु ने योग और अध्यात्म को देश-विदेश में फैलाने का कार्य किया और करोड़ों लोगों को इससे जोड़ा।
मैसूर राज्य (अब कर्नाटक) में 3 सितंबर 1957 को जगदीश वासुदेव का जन्म हुआ। वे एक तेलगू परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता बीवी वासुदेव रेलवे अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ थे और मां का नाम सुशीला वासुदेव था। पांच भाई-बहनों में जगदीश सबसे छोटे थे। उन्होंने अंग्रेजी साहित्य की पढ़ाई की और करियर की शुरुआत बिजनेस से की। बचपन से ही उन्हें प्रकृति और विशेष रूप से सांपों से लगाव था।
जगदीश ने 11 साल की उम्र से योग साधना शुरू कर दी थी। 25 साल की उम्र में उन्हें पहला गहरा आध्यात्मिक अनुभव हुआ, जिसने उन्हें बिजनेस छोड़कर साधना और योग की राह पर ला दिया। इसके बाद उन्होंने यात्राएं कर आध्यात्मिक ज्ञान को गहराई से समझा और योग सिखाने का निर्णय लिया।
साल 1984 में जगदीश वासुदेव ने विजिकुमारी से विवाह किया और 1990 में उनकी बेटी राधे का जन्म हुआ। उनकी पत्नी विज्जी भी अध्यात्म की राह पर थीं और 33 वर्ष की उम्र में उन्होंने स्वेच्छा से प्राण त्याग दिए।
जगदीश वासुदेव ने 1992 में ईशा फाउंडेशन की स्थापना की। 1994 में कोयंबटूर के वेल्लियांगिरी पहाड़ों के पास उन्होंने ईशा योग केंद्र की शुरुआत की। उनका आध्यात्मिक दृष्टिकोण लोगों को आकर्षित करने लगा और धीरे-धीरे वे सद्गुरु के रूप में प्रसिद्ध हो गए।
योग और अध्यात्म के क्षेत्र में योगदान के लिए जगदीश वासुदेव को कई सम्मान प्राप्त हुए। उन्हें 2008 में इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार और 2017 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।