जीएसटी 2.0: मोदी सरकार का "दिवाली गिफ्ट", रोज़मर्रा की वस्तुएँ सस्ती, ऊर्जा-ईंधन पर बढ़ा बोझ
धानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में लिये गये फैसले आम जनता, उद्योग और बाजार सभी के लिए महत्वपूर्ण साबित हुए हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह निर्णय केवल आर्थिक सुधार नहीं, बल्कि नागरिकों की समृद्धि और सुविधा के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
इस साल के आम बजट में आयकर छूट देकर राहत देने के बाद अब जीएसटी दरों में व्यापक कटौती को दिवाली से पहले का “बम्पर गिफ्ट” कहा जा रहा है। भोजन, दुग्ध उत्पाद, नमकीन, स्नैक्स, दवाएँ, शैक्षिक वस्तुएँ, उर्वरक, जूते, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, नवीकरणीय ऊर्जा और निर्माण सामग्री जैसे क्षेत्रों में कर घटाकर 5% या शून्य कर दिया गया है। इससे उपभोक्ताओं को सीधी राहत, उद्योगों को प्रोत्साहन और बाजार को गति मिलने की उम्मीद है।
मक्खन, घी, पनीर, बिस्कुट, चॉकलेट, बादाम, पिस्ता, नमकीन और भुजिया जैसी वस्तुएँ अब पहले से सस्ती होंगी। किसानों और शिक्षा-स्वास्थ्य क्षेत्र को भी बड़ी राहत दी गई है। छोटे व्यवसायों और मझोले उद्योगों को कर छूट से प्रोत्साहन मिलेगा। वहीं, ऑटोमोबाइल और नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों पर भी कर घटाया गया है, जिससे रोजगार और औद्योगिक विकास को गति मिलने की संभावना है।
हालाँकि तस्वीर का दूसरा पहलू भी है। कोयले पर कर 5% से बढ़ाकर 18% कर दिया गया है, जिससे ऊर्जा-निर्भर उद्योगों पर असर पड़ेगा। “सिन गुड्स” जैसे पान मसाला, गुटखा, सिगरेट और शक्कर-युक्त पेय पदार्थों पर जीएसटी 40% तक बढ़ा दिया गया है। लग्ज़री कारों और प्रीमियम वस्तुओं पर ऊँचा कर यथावत रखा गया है।
कुल मिलाकर, जहाँ एक ओर आम घरों और उपभोक्ताओं को राहत मिली है, वहीं ईंधन और ऊर्जा क्षेत्र पर अतिरिक्त बोझ डाला गया है। यह फैसला न केवल घरेलू खपत और निवेशकों के भरोसे को मज़बूत करेगा बल्कि यह संकेत भी देता है कि भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से आगे बढ़ने के लिए तैयार है।
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