मराठा आरक्षण आंदोलन में भीड़ पर काबू, मुंबई पुलिस की रणनीति सफल
कार्यकर्ता मनोज जरांगे के नेतृत्व वाले आरक्षण आंदोलन में शामिल होने के लिए हजारों मराठा प्रदर्शनकारी मुंबई पहुंचे, लेकिन मुंबई पुलिस ने भीड़ को कुशलतापूर्वक और चतुराई से संभाला, जिससे पांच दिनों तक चले आंदोलन के दौरान स्थिति काफी हद तक शांतिपूर्ण रही। दक्षिण मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) और बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) भवन के पास आजाद मैदान में आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान हालात कभी नियंत्रण से बाहर नहीं हुए।
जरांगे ने मराठा आरक्षण की मांग को लेकर 29 अगस्त को भूख हड़ताल शुरू की थी और राज्य सरकार द्वारा उनकी अधिकतर मांगें मान लेने के बाद मंगलवार अपराह्न इसे समाप्त कर दिया। आंदोलन के दौरान पूरे महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में लोग आयोजन स्थल पर पहुंचे, जिससे यातायात प्रभावित हुआ। कई प्रदर्शनकारी सीएसएमटी परिसर के अंदर तक चले गए और प्लेटफॉर्म पर चटाई बिछाकर बैठ गए।
पुलिस ने आजाद मैदान में 1,500 से अधिक पुलिसकर्मी, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ), एसआरपीएफ और दंगा नियंत्रण पुलिस की टुकड़ियां तैनात कीं। हालांकि पुलिस ने केवल 5,000 लोगों की अनुमति दी थी, लेकिन 8,000 वाहनों में 60,000 से अधिक लोग मुंबई पहुंच गए। पुलिस ने ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से लगातार निगरानी रखी।
संयुक्त पुलिस आयुक्त सत्य नारायण चौधरी, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अभिनव देशमुख और पुलिस उपायुक्त प्रवीण मुंधे मौके पर मौजूद रहे। यातायात अवरुद्ध करने की स्थिति में डीसीपी मुंधे ने जरांगे से वीडियो कॉल पर बात की, जिसके बाद उन्होंने प्रदर्शनकारियों से सहयोग करने को कहा और भीड़ हट गई।
स्थिति तब गंभीर हो गई जब मुंबई उच्च न्यायालय ने सरकार से अपराह्न तीन बजे से पहले सड़कें खाली कराने का निर्देश दिया। इसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने बार-बार प्रदर्शनकारियों से वाहन हटाने की अपील की और पुलिस ने नवी मुंबई में वाहन खड़ा करने की व्यवस्था कराई।
अंततः जब भीड़ कम हो गई और प्रदर्शनकारियों ने आजाद मैदान खाली कर दिया, तो संयुक्त पुलिस आयुक्त चौधरी ने घटनास्थल का दौरा कर पुलिसकर्मियों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि पुलिस ने स्थिति को कुशलतापूर्वक संभाला और किसी भी तरह का टकराव नहीं होने दिया।