दिल्ली में यमुना बाढ़: राहत शिविर जलमग्न, बीमारियों का खतरा बढ़ा
दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है, जिससे राहत शिविरों में रहने वाले लोगों पर वेक्टर जनित बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। पुराने रेलवे पुल (लोहा पुल) पर जलस्तर बृहस्पतिवार को 207.47 मीटर तक पहुँच गया था, जबकि शुक्रवार सुबह सात बजे यह 207.33 मीटर पर दर्ज किया गया। अधिकारियों ने बताया कि जलस्तर में धीरे-धीरे कमी आ रही है और शुक्रवार सुबह आठ बजे तक यह 207.30 मीटर तक गिरने की संभावना है।
मयूर विहार फेज-1 और यमुना बाजार में बाढ़ का पानी राहत शिविरों में घुस गया, जिससे विस्थापित लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उत्तर-पूर्वी दिल्ली के उस्मानपुर में कुछ लोग, पालतू जानवर और एक गाय फंस गए। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने बचाव कार्य करने से इनकार किया, लेकिन जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) और बोट क्लब के कर्मचारियों ने सभी गायों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
स्थानीय लोगों ने अधिकारियों पर उचित तैयारी न करने का आरोप लगाया। मजनू का टीला इलाके में बाढ़ से व्यवसाय प्रभावित हुए हैं। कई रेस्तरां मालिक कार्यालयों में सो रहे हैं, टैटू पार्लरों और सैलून के उपकरण बर्बाद हो गए हैं, जबकि कपड़ों की दुकानें बंद हैं। सिविल लाइंस के पास चंदगी राम अखाड़े में पानी भरने के कारण दिल्ली यातायात पुलिस को वैकल्पिक मार्ग अपनाने का आदेश देना पड़ा।
अधिकारियों ने बताया कि जलभराव का कारण इलाके में खराब निकासी है। दिल्ली सचिवालय और वासुदेव घाट के आस-पास के इलाके भी जलमग्न हैं। मयूर विहार फेज-1 जैसे निचले इलाकों में कुछ राहत शिविर भी जलमग्न हो गए हैं। कश्मीरी गेट के पास श्री मरघट वाले हनुमान बाबा मंदिर में भी पानी भर गया।
पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी कार्यालय ने लोगों को उफनती यमुना में तैराकी, नौका विहार या किसी भी तरह की मनोरंजक गतिविधि से दूर रहने की चेतावनी दी है। आपात स्थिति या बचाव कार्य के लिए लोगों को आपदा आपातकालीन परिचालन केंद्र के हेल्पलाइन नंबर 1077 पर संपर्क करने को कहा गया है। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने बताया कि यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन तक पहुंचने वाला मार्ग दुर्गम हो गया है, लेकिन स्टेशन चालू है और यात्रियों को वैकल्पिक मार्ग अपनाने की सलाह दी गई है।
इस बीच आम आदमी पार्टी (आप) ने उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वे जमीनी स्तर पर चल रहे राहत कार्यों से नदारद हैं। दिल्ली कांग्रेस ने कई जलमग्न राहत शिविरों को देखकर प्रशासनिक कमी की आलोचना की और इसे प्रशासनिक अनुभव की कमी बताया।