उत्तर भारत में बारिश और बाढ़ का कहर, सैकड़ों की मौत, हज़ारों विस्थापित
उत्तर भारत मूसलाधार बारिश और बाढ़ से जूझ रहा है। जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर में भारी तबाही हुई है। सैकड़ों लोगों की मौत और हज़ारों का विस्थापन हुआ है। जलमग्न सड़कें, भूस्खलन और यमुना का खतरे के निशान से ऊपर बहना आम हो गया है। मौसम विभाग ने अगले सात दिनों तक राहत न मिलने की चेतावनी दी है।
उत्तराखंड में भारी बारिश के बीच केदारनाथ के समीप भूस्खलन की चपेट में एक वाहन आ गया, जिसमें दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई और छह लोग घायल हुए। प्रदेश में पाँच सितंबर तक हेमकुंड साहिब और चारधाम यात्रा स्थगित कर दी गई है। लगातार वर्षा के मद्देनजर ज्यादातर जिलों में स्कूल बंद हैं। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भूस्खलन से सात लोगों की मौत हुई, वहीं जम्मू-कश्मीर के कटरा में भारी बारिश से माता वैष्णो देवी यात्रा लगातार सातवें दिन स्थगित रही।
पंजाब में 29 लोगों की मौत हो चुकी है और हज़ारों लोग विस्थापित हैं। राज्य के 12 जिलों के 1,044 गाँव प्रभावित हुए हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चेतावनी दी है कि स्थिति और बिगड़ सकती है। राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया 2 सितंबर से प्रभावित जिलों का दौरा करेंगे। स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को 3 सितंबर तक बंद रखने के आदेश हैं।
दिल्ली-एनसीआर में भी हालात बिगड़े हुए हैं। गुरुग्राम में 20 किलोमीटर लंबा जाम लगा और प्रशासन ने निजी और कॉर्पोरेट कार्यालयों को घर से काम करने के निर्देश दिए। हरियाणा सरकार ने सभी अधिकारियों को पाँच सितंबर तक मुख्यालय पर तैनात रहने को कहा है।
हिमाचल प्रदेश में पिछले 24 घंटों में पाँच लोगों की मौत हुई। मानसून की शुरुआत से अब तक 161 लोग बारिश से जुड़ी घटनाओं और 154 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जा चुके हैं। 845 घर पूरी तरह और 3,254 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। अब तक ₹3,056 करोड़ का नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य को प्राकृतिक आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन से लौटने के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से फोन पर बात कर हालात की जानकारी ली और हर संभव मदद का आश्वासन दिया। इस बीच, चंडीगढ़ प्रशासन ने जोखिम कम करने के लिए एहतियाती कदम उठाए हैं और आपदा प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दीर्घकालिक रणनीति पर काम शुरू किया है।