मराठा आरक्षण आंदोलन: पानी त्यागने पर अड़े मनोज जरांगे, सरकार कानूनी राय लेगी
मुंबई के आजाद मैदान में मराठा आरक्षण आंदोलन सोमवार को चौथे दिन में प्रवेश कर गया। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने पानी पीना बंद करने का संकल्प लेते हुए कहा कि वह मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आरक्षण दिलाने की मांग को लेकर ‘‘गोलियां’’ खाने तक के लिए तैयार हैं। जरांगे शुक्रवार से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं और उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वह धरना स्थल नहीं छोड़ेंगे।
महाराष्ट्र सरकार ने रविवार को कहा कि वह मराठा समुदाय को कुनबी (ओबीसी जाति) का दर्जा देने संबंधी हैदराबाद गजेटियर को लागू करने के लिए कानूनी राय लेगी। हालांकि, जरांगे ने साफ कहा कि केवल आश्वासन से काम नहीं चलेगा और सरकार को तत्काल आदेश जारी करना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि सरकार के पास 58 लाख मराठों और कुनबियों का रिकॉर्ड मौजूद है।
आंदोलन के चलते दक्षिण मुंबई में यातायात प्रभावित हुआ है। मुंबई यातायात पुलिस ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। व्यापारियों ने भी चिंता जताते हुए कहा कि भारी भीड़ से बाजारों और दुकानों की बिक्री प्रभावित हो रही है। ‘फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन’ के अध्यक्ष वीरेन शाह ने कहा कि ‘‘मुंबई बंधक’’ जैसी स्थिति बन गई है।
कैबिनेट उप-समिति के प्रमुख और मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने बताया कि महाधिवक्ता बीरेन सराफ और उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे ने अध्ययन के लिए समय मांगा है कि क्या हैदराबाद और सतारा गजेटियर को लागू किया जा सकता है। विखे पाटिल ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी को भी नकारा नहीं जा सकता जिसमें कहा गया था कि मराठा और कुनबी एक नहीं हैं।
रविवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) सांसद सुप्रिया सुले आंदोलन स्थल पर पहुंचीं, जहां प्रदर्शनकारियों ने उनकी कार रोककर शरद पवार के खिलाफ नारे लगाए। सुले ने सरकार से आरक्षण मुद्दे पर विशेष सत्र बुलाने की मांग की। इस बीच, टीवी पत्रकार संघ ने जरांगे के समर्थकों पर महिला पत्रकारों से दुर्व्यवहार का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि ऐसी घटनाएं दोहराए जाने पर आंदोलन का बहिष्कार किया जाएगा।
आरक्षण मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं। भाजपा नेताओं ने शरद पवार को निशाने पर लिया, जबकि राकांपा नेता छगन भुजबल ने ओबीसी आरक्षण कम करने का विरोध करते हुए ओबीसी नेताओं की बैठक बुलाई।