अमेरिका ने भारत पर 50% शुल्क लगाया, व्यापार युद्ध की घोषणा से बढ़ा तनाव
नई दिल्ली। अमेरिका ने भारत से आयातित अधिकांश वस्तुओं पर 50 प्रतिशत शुल्क (25% कर और 25% दंड) लगाने की घोषणा कर दी है। यह शुल्क 28 अगस्त की सुबह (भारतीय समयानुसार) से लागू होंगे। अमेरिकी Department of Homeland Security ने अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि यह कदम रूस से जुड़े “खतरों” के मद्देनज़र उठाया गया है। अमेरिका का आरोप है कि भारत प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रूसी तेल का आयात कर रहा है और इसी वजह से राष्ट्रपति आदेश के तहत भारत पर अतिरिक्त शुल्क लगाए गए हैं।
दिलचस्प बात यह है कि चीन भारत से कहीं अधिक रूसी तेल आयात करता है, लेकिन उस पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई। इससे यह संकेत मिलता है कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन विशेष रूप से भारत को निशाना बना रहा है। ट्रंप और व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरोलिन लीविट ने इन शुल्कों को "sanctions" यानी प्रतिबंध कहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बयान दिया कि “भारत पर दबाव अवश्य बढ़ेंगे, लेकिन हम झुकेंगे नहीं।” हालांकि उसी के कुछ घंटों बाद अमेरिका द्वारा भारत के विरुद्ध यह व्यापार युद्ध घोषित कर दिया गया। विश्लेषकों का मानना है कि इस फैसले के पीछे कई कारण हैं— भारत से होने वाले तेल-राजस्व का रूस के युद्ध प्रयासों में योगदान, BRICS समूह द्वारा अमेरिकी डॉलर की प्रभुता को चुनौती देना और भारत द्वारा ट्रंप की मध्यस्थता की भूमिका को मान्यता न देना।
नए शुल्कों का असर भारत के लगभग 87.3 अरब डॉलर के निर्यात पर पड़ेगा, जिसमें से आधे पर अब 50% कर लगेगा। सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में वस्त्र एवं परिधान, रत्न एवं आभूषण, समुद्री उत्पाद (मुख्यतः झींगा) और चमड़े के उत्पाद शामिल होंगे। दवा उद्योग और इलेक्ट्रॉनिक्स (जैसे iPhone) को छूट दी गई है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस कदम से भारत की जीडीपी पर 0.2% से 1% तक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और $7 से $25 अरब तक का नुकसान हो सकता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह निर्णय केवल आर्थिक नहीं बल्कि राजनीतिक और रणनीतिक है। इतिहास साक्षी है कि भारत ने जब-जब वैश्विक दबावों का सामना किया है, तब-तब वैकल्पिक मार्ग खोज निकाला है। अब देखना होगा कि भारत इस चुनौती से निपटने के लिए नए निर्यात बाज़ार तलाश करता है या अमेरिका के साथ कूटनीतिक वार्ता का रास्ता अपनाता है।