एनएचएआई की क्लैट-पीजी आधारित भर्ती अधिसूचना रद्द
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया, जिसमें वकीलों की भर्ती के लिए क्लैट-पीजी के अंकों को आधार बनाया गया था। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने 11 अगस्त की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका स्वीकार कर ली।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अधिसूचना में दिए गए भर्ती मानदंड तर्कसंगत नहीं हैं। इससे पहले 18 सितंबर को अदालत ने अधिसूचना पर रोक लगाते हुए कहा था कि इस प्रक्रिया के पीछे कोई ठोस कारण नहीं है।
वकील शन्नू बहगेल द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि क्लैट-पीजी परीक्षा का उद्देश्य केवल एलएलबी स्नातकों की मास्टर डिग्री के लिए योग्यता जांचना है, न कि सार्वजनिक रोजगार का आधार बनना। याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि अधिसूचना के अनुसार चयन का उद्देश्य कानून में मास्टर डिग्री हासिल करना नहीं है, बल्कि कानूनी पेशेवर की सेवाएं लेना है।
वहीं, एनएचएआई के वकील ने दलील दी थी कि प्राधिकरण उम्मीदवारों की कानूनी समझ का परीक्षण क्लैट अंकों के आधार पर कर रहा था और चयन प्रक्रिया में अनुभव को भी महत्व दिया गया था। अधिसूचना में क्लैट 2022 और आगे की स्नातकोत्तर विधि प्रवेश परीक्षाओं में प्राप्त अंकों के आधार पर 44 युवा पेशेवरों की नियुक्ति का उल्लेख किया गया था।
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