लक्ष्मी नारायण मंदिर का लोकार्पण, सरकार्यवाह होसबाले ने कहा – मन्दिर केवल पूजा स्थल नहीं, सेवा और चेतना का केन्द्र
बाराबंकी, उत्तर प्रदेश। बरेठी में नारायण सेवा संस्थान के लक्ष्मी नारायण मंदिर के लोकार्पण कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने कहा कि मन्दिर केवल पुण्य कमाने या मांगने का स्थान नहीं है, बल्कि यह अन्तर्चेतना जागृत करने, दूसरों के कष्ट दूर करने और सेवा भाव पैदा करने का केन्द्र है।
सरकार्यवाह होसबाले ने कोरोना महामारी का उल्लेख करते हुए कहा कि संकट काल में कई अच्छे कार्य सृजित होते हैं। महामारी के दौरान अनेक संस्थाओं ने लोगों की सेवा और रोजगार देने का काम किया, इसी प्रेरणा से कुछ समय बाद नारायण संस्था का निर्माण हुआ। उन्होंने कहा कि समाज में कार्य करने वाली संस्था अपने बैंक बैलेंस से नहीं, बल्कि उसे चलाने वालों के मन, बड़प्पन और कार्यों से बड़ी होती है।
मंदिर निर्माण के महत्व पर उन्होंने कहा कि मंदिर व्यक्ति को परमेष्ठि से जोड़ने का माध्यम है। भक्ति और चेतना दोनों के विकास के लिए मंदिर आवश्यक हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि ग्रामीण विकास और जनचेतना जागरूकता में मंदिर केंद्रित प्रयासों से उल्लेखनीय सफलता मिली है।
सरकार्यवाह ने कहा कि गाँवों का विकास स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार पर केन्द्रित होना चाहिए। प्रधानमंत्री भी ग्राम विकास और कुटीर उद्योग को बढ़ावा दे रहे हैं। संघ के स्वयंसेवक भी इस दिशा में कार्यरत हैं। नारायण सेवा का अर्थ नर सेवा में है और यही हमारी दृष्टि होनी चाहिए।
उन्होंने कौटिल्य का उल्लेख करते हुए कहा कि धर्म का आधार अर्थ है और सुख का आधार धर्म है। जीवन को चलाने के लिए धन आवश्यक है, लेकिन यदि धन ही जीवन पर हावी हो जाए तो विनाश निश्चित है। सत्य, शुचिता, करुणा और तपस्या धर्म के चार स्तम्भ हैं। हर गांव और मोहल्ले में ऐसे पूजा-अर्चना के स्थान होने चाहिए, जो बड़प्पन और अहंकार से मुक्त होने की प्रेरणा दें।
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