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केरल हाई कोर्ट का निर्देश: एआई से न हों न्यायिक आदेश, उल्लंघन पर होगी कार्रवाई

:: Editor - Omprakash Najwani :: 20-Jul-2025
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केरल हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए राज्य की सभी निचली अदालतों को निर्देश दिया है कि वे न्यायिक आदेश पारित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल्स का उपयोग न करें। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि एआई टूल्स का अंधाधुंध इस्तेमाल नकारात्मक परिणाम दे सकता है, इसलिए इस पर सख्त सतर्कता बरती जाए।

19 जुलाई को जारी नीति दस्तावेज में कहा गया है कि एआई उपकरणों का उपयोग केवल सहायक भूमिका में और सख्ती से अनुमत उद्देश्यों के लिए ही किया जाना चाहिए। दस्तावेज में यह भी स्पष्ट किया गया कि एआई टूल्स किसी भी परिस्थिति में निर्णय लेने या कानूनी तर्क के विकल्प के रूप में इस्तेमाल नहीं किए जाने चाहिए।

कोर्ट ने चेतावनी दी है कि इस नीति का कोई भी उल्लंघन अनुशासनात्मक कार्रवाई का कारण बन सकता है और ऐसे मामलों में संबंधित अनुशासनात्मक नियमों के तहत कार्यवाही की जाएगी। यह नीति जिला न्यायपालिका के सदस्यों, उनके स्टाफ, इंटर्न्स और केरल में कार्यरत लॉ क्लर्क्स पर लागू होगी।

दिशानिर्देशों में खासतौर पर चैटजीपीटी जैसे क्लाउड आधारित एआई टूल्स का नाम लेते हुए कहा गया है कि इनका इस्तेमाल आदेश पारित करने के लिए न किया जाए। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन मामलों में एआई का उपयोग हुआ है, उनका विस्तृत ऑडिट किया जाएगा।

एआई टूल्स का इस्तेमाल करने से पहले न्यायिक अधिकारियों और उनके सहयोगियों को उचित प्रशिक्षण लेना अनिवार्य होगा। इसके लिए केरल न्यायिक अकादमी या हाई कोर्ट द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेना होगा। यदि किसी मामले में एआई टूल्स का प्रयोग किया जाता है, तो संबंधित आउटपुट को एडिट करना जरूरी होगा। किसी भी तकनीकी समस्या की स्थिति में तुरंत आईटी विभाग से संपर्क करने का भी निर्देश दिया गया है।


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