महाराष्ट्र सरकार ने 2006 के मुंबई ट्रेन धमाका मामले में सभी 12 दोषियों को बरी करने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। सरकार ने कहा है कि एक आरोपी से आरडीएक्स की बरामदगी को केवल इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि जब्त विस्फोटक पर एलएसी सील नहीं थी, जबकि यह निर्णय अत्यधिक तकनीकी है।
राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि आरडीएक्स अत्यधिक ज्वलनशील था, इसलिए सुरक्षा कारणों से उसे एलएसी सील नहीं किया गया। साथ ही उसकी बरामदगी की विधिवत मंजूरी दी गई थी और दस्तावेजीकरण भी हुआ था।
बंबई उच्च न्यायालय द्वारा आरोपियों को बरी किए जाने के एक दिन बाद ही राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया। उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ मामला साबित करने में विफल रहा और यह विश्वास करना कठिन है कि इन आरोपियों ने यह अपराध किया।
प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर अपील को गुरुवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
राज्य सरकार ने मकोका की धारा 23(2) के तहत अभियोजन की ओर से अपनाई गई प्रक्रियाओं और वरिष्ठ अधिकारी अनामी रॉय द्वारा दी गई मंजूरी का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय के आदेश पर गंभीर आपत्तियां दर्ज की हैं। याचिका में कहा गया कि अभियोजन पक्ष के गवाहों के साक्ष्यों में कोई ठोस विरोधाभास नहीं था, फिर भी कोर्ट ने इन्हें नजरअंदाज कर दिया।