पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग करते हुए केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने का निर्णय अवैध और असंवैधानिक था। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हम यहां भीख मांगने नहीं आए हैं, भारतीय नागरिक होने के नाते यह हमारा अधिकार है।”
फारूक अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर का दर्जा खत्म करने का निर्णय बिना संवैधानिक प्रक्रिया के लिया गया। उन्होंने कहा, “राज्यपाल ने खुद स्वीकार किया है कि उन्हें कानून की जानकारी नहीं थी। क्या ऐसे किसी राज्य को समाप्त किया जाता है?” उन्होंने यह भी कहा कि आज के भारत में लोगों को धर्म और भाषा के आधार पर देखा जाता है, जबकि यह भारत की मूल भावना के खिलाफ है।
उन्होंने कहा, “मैं मुसलमान हूं, मुसलमान रहूंगा और मुसलमान के तौर पर ही मरूंगा, मगर मैं भारतीय मुसलमान हूं, न कि पाकिस्तानी या चीनी। कब आप हिंदुस्तान के मुसलमान पर भरोसा करना शुरू करेंगे?”
जम्मू-कश्मीर के डिप्टी सीएम सुरिंदर चौधरी ने भी फारूक अब्दुल्ला की चिंता को साझा किया। उन्होंने कहा, “भारत जम्मू-कश्मीर को अपना मुखिया कहता है, लेकिन उस मुखिया को गंभीर चोट पहुंची है। मुझे अब तक समझ नहीं आया कि किस कानून के तहत एक राज्य को नगरपालिका में तब्दील कर दिया गया।”
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अनुच्छेद 370 को हटाने में सही प्रक्रिया नहीं अपनाई गई, फिर भी इसे बरकरार रखा गया। यह फैसला समीक्षा योग्य है।”
इस बीच कटरा रेलवे स्टेशन पर पहुंचे फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “माता ने बुलाया है, इसलिए आया हूं।” उनकी यह धार्मिक यात्रा भी लोगों का ध्यान खींच रही है।