नागरिकता साबित किए बिना नहीं मिलेगा वोट देने का हक: चुनाव आयोग एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा, आधार-राशन कार्ड को सबूत मानने से इंकार
भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक विस्तृत हलफनामा दाखिल किया। आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाता पहचान पत्र, आधार या राशन कार्ड को मतदाता बनने की पात्रता का पर्याप्त प्रमाण नहीं माना जा सकता और मतदाता पंजीकरण के लिए भारतीय नागरिकता का प्रमाण आवश्यक है।
चुनाव आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 और 326 का हवाला देते हुए कहा कि उसे मतदाता सूची तैयार करने और मतदाता पात्रता की जाँच करने का पूरा संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी व्यक्ति के मतदाता के रूप में पंजीकरण न हो पाना, उसकी नागरिकता समाप्त होने के बराबर नहीं है।
यह हलफनामा कई विपक्षी सांसदों और नागरिक संगठनों द्वारा दायर उन याचिकाओं के जवाब में आया है, जिनमें एसआईआर की प्रक्रिया, समय और तरीके को लेकर सवाल उठाए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को एसआईआर की वैधता की जाँच करने पर सहमति जताते हुए आयोग को निर्देश दिया था कि अगली सुनवाई तक मसौदा मतदाता सूची को अंतिम रूप न दिया जाए।
कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया था कि मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों पर विचार किया जाए। लेकिन आयोग ने इस सुझाव को खारिज करते हुए कहा कि ये दस्तावेज केवल उदाहरणात्मक हैं, आवश्यक नहीं।
विपक्षी दलों और कार्यकर्ताओं ने आशंका जताई है कि यह प्रक्रिया बड़ी संख्या में लोगों को मताधिकार से वंचित कर सकती है। याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया था कि नागरिकता की पुष्टि केवल केंद्र सरकार ही कर सकती है। इस पर चुनाव आयोग ने पलटवार करते हुए कहा कि यह व्याख्या गलत है और इससे आयोग के संवैधानिक कर्तव्यों की अनदेखी होती है।
मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में होगी।
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