यूएन में भारत का पाकिस्तान पर करारा प्रहार राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने कहा– भारत समावेशी विकास मॉडल, पाकिस्तान आतंकवाद और कट्टरता में डूबा देश
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए, न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप प्रगति, समृद्धि और विकास मॉडल के मामले में एक बिल्कुल विपरीत स्थिति प्रस्तुत करता है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 'बहुपक्षवाद और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना' विषय पर उच्च-स्तरीय खुली बहस के दौरान उन्होंने शांति, लोकतंत्र और आर्थिक स्थिरता के मामले में पाकिस्तान के रिकॉर्ड की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि एक ओर भारत है जो एक परिपक्व लोकतंत्र, एक उभरती अर्थव्यवस्था और बहुलवादी एवं समावेशी समाज है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान है, जो कट्टरता और आतंकवाद में डूबा हुआ है और आईएमएफ से लगातार कर्ज ले रहा है।
राजदूत ने पाकिस्तान के प्रतिनिधि की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब हम अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने की बात कर रहे हैं, तो आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता जैसे सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि परिषद के किसी सदस्य के लिए यह उचित नहीं है कि वह खुद ऐसे आचरण में लिप्त रहते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को उपदेश दे।
राजदूत हरीश ने यह भी कहा कि भारत ने दशकों तक पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हमलों का सामना किया है। उन्होंने 26/11 के मुंबई हमलों से लेकर अप्रैल 2025 में पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की बर्बर सामूहिक हत्या तक का उल्लेख करते हुए कहा कि पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद का सबसे अधिक शिकार आम नागरिक ही हुए हैं।
"सशस्त्र संघर्ष में नागरिकों की सुरक्षा" विषय पर आयोजित बहस में उन्होंने बताया कि 22 अप्रैल की पहलगाम घटना में पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 26 नागरिकों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई केंद्रित, सोच-समझकर और बिना किसी उकसावे के की गई थी।
उन्होंने कहा कि इस झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था, और 10 मई को युद्धविराम तब हुआ जब पाकिस्तान ने भारत से संपर्क किया। हरीश ने इस तथ्य को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया कि युद्धविराम के लिए पहल भारत ने नहीं, बल्कि पाकिस्तान ने की थी, और यह बात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावों का भी खंडन करती है।
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