महायुति में कलह: मंत्री संजय शिरसाट और माधुरी मिसाल के बीच लेटर वॉर से उठा विवाद
महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ महायुति सरकार में आंतरिक खींचतान एक बार फिर सामने आई है। सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट और राज्य मंत्री माधुरी मिसाल के बीच विभागीय बैठकों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। यह टकराव तब शुरू हुआ जब मिसाल ने विधायकों के अनुरोध पर बिना शिरसाट की पूर्व अनुमति के समीक्षा बैठकें आयोजित कीं और अधिकारियों को निर्देश जारी किए।
शिरसाट ने कड़े शब्दों वाले पत्र में आरोप लगाया कि मिसाल ने उनकी मंजूरी के बिना बैठकें बुलाईं और निर्देश दिए, जो उनके अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन है। उन्होंने लिखा कि प्रशासनिक दृष्टि से समन्वय के लिए यह आवश्यक है कि मंत्री की पूर्व अनुमति के बिना कोई बैठक न की जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि भविष्य में सभी बैठकें उनकी अध्यक्षता में आयोजित की जाएं।
वहीं, भाजपा नेता और राज्य मंत्री माधुरी मिसाल ने शिरसाट के आरोपों को खारिज करते हुए जवाबी पत्र में कहा कि राज्य मंत्री के नाते उन्हें विभागीय बैठकों के आयोजन का अधिकार है और किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन बैठकों में कोई आधिकारिक निर्णय नहीं लिए गए, सिर्फ सुझाव दिए गए, जो उनकी जिम्मेदारी के दायरे में आते हैं।
मिसाल ने मुख्यमंत्री के 150 दिनों के कार्य की समीक्षा के निर्देश और 19 मार्च 2025 को हुए कर्तव्य बंटवारे का हवाला देते हुए कहा कि वह नियमों के अनुरूप कार्य कर रही हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि औपचारिक विभागीय रिकॉर्ड की अनुपस्थिति में वह अब तक बिना किसी आपत्ति के अपने कर्तव्यों का निर्वहन करती रही हैं।
यह विवाद महायुति गठबंधन में भाजपा और शिंदे गुट के बीच बढ़ती अंदरूनी दरार की ओर संकेत करता है, जो भविष्य में सत्ता संतुलन पर असर डाल सकता है।
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