कांग्रेस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम पर मध्यस्थता के बार-बार किए गए दावों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है। पार्टी का कहना है कि ट्रंप के साथ मोदी की ‘बहुप्रचारित दोस्ती’ अब पूरी तरह खोखली साबित हो चुकी है, खासकर अमेरिका और पाकिस्तान के बढ़ते कूटनीतिक संबंधों के मद्देनजर। कांग्रेस ने इसे भारतीय कूटनीति की गंभीर विफलता बताया है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा कि भारतीय कूटनीति की कमजोरी चार ठोस तथ्यों से उजागर होती है। रमेश के मुताबिक, 10 मई 2025 से अब तक डोनाल्ड ट्रंप 25 बार दावा कर चुके हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोकने के लिए व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप किया और दोनों देशों पर व्यापारिक दबाव बनाया।
उन्होंने बताया कि 10 जून को अमेरिका की सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला ने पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका का “शानदार साझेदार” बताया। इसके बाद 18 जून को ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर से लंच मीटिंग की—जिसे कांग्रेस ने “अप्रत्याशित” करार दिया। कांग्रेस ने याद दिलाया कि पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की पृष्ठभूमि खुद मुनीर के भड़काऊ बयानों ने तैयार की थी।
रमेश ने यह भी कहा कि 25 जुलाई को अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इसहाक डार से मुलाकात कर क्षेत्रीय स्थिरता और आतंकवाद के खिलाफ साझेदारी के लिए पाकिस्तान का आभार जताया।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार की विदेश नीति और तथाकथित व्यक्तिगत ‘डिप्लोमेसी’ पूरी तरह विफल रही है। पार्टी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा 19 जून 2020 को चीन को दी गई "क्लीन चिट" की भी भारत को बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है।
कांग्रेस का दावा है कि डोनाल्ड ट्रंप के साथ जिस दोस्ती का लगातार प्रचार किया गया, वह आज भारतीय कूटनीति की सबसे बड़ी कमजोरी के रूप में सामने आई है।