शिक्षा और स्वास्थ्य आम लोगों की पहुंच से बाहर हो गए हैं : मोहन भागवत
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भारत में स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा की बढ़ती लागत और दुर्गमता पर चिंता व्यक्त की। गुरुजी सेवा न्यास द्वारा स्थापित माधव सृष्टि आरोग्य केंद्र का उद्घाटन करने के बाद उन्होंने कहा कि पहले शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा को सेवा भाव से किया जाता था, लेकिन आज इन्हें व्यावसायिक बना दिया गया है।
भागवत ने कहा कि कैंसर उपचार की उन्नत सुविधाएं केवल आठ से दस भारतीय शहरों में उपलब्ध हैं, जिसके कारण मरीजों को इलाज के लिए भारी खर्च और लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि स्वास्थ्य देखभाल चिंता का कारण नहीं बननी चाहिए। बचपन की एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि जब उन्हें मलेरिया हुआ था तो उनके शिक्षक इलाज के लिए जंगली जड़ी-बूटियां लेकर घर आए थे, इस तरह की व्यक्तिगत देखभाल की समाज को फिर से आवश्यकता है।
भागवत ने भारतीय परिस्थितियों में पश्चिमी चिकित्सा अनुसंधान को आंख मूंदकर लागू करने के प्रति सावधान किया और कहा कि अलग-अलग लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा, होम्योपैथी या एलोपैथी जैसी विभिन्न प्रणालियों से लाभ होता है, कोई भी एक तरीका सर्वोच्च नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि भारतीय चिकित्सा प्रणालियां व्यक्तिगत जरूरतों के आधार पर इलाज करती हैं।
शिक्षा की स्थिति पर बात करते हुए भागवत ने कहा कि कई क्षेत्रों में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए दूर तक यात्रा करनी पड़ती है। उन्होंने कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) जैसे औपचारिक शब्दों को खारिज करते हुए कहा कि सेवा के लिए हमारे पास 'धर्म' नामक शब्द है।
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