प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति को नई रफ्तार, वैश्विक मंचों पर भारत की मजबूत मौजूदगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही विदेश नीति को नई गति दी है। हाल ही में वह पांच देशों की यात्रा से लौटे हैं और इस समय वह ब्रिटेन और मालदीव की यात्रा पर हैं। इन यात्राओं का उद्देश्य केवल राजनयिक शिष्टाचार नहीं बल्कि रणनीतिक साझेदारियों को सुदृढ़ करना, हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की भूमिका को मजबूत बनाना और वैश्विक मंचों पर भारत की आवाज को बुलंद करना है।
प्रधानमंत्री मोदी को वैश्विक नेता यूं ही नहीं कहा जाता। अंतरराष्ट्रीय राजनीति को नई दिशा देने और भारतीय कूटनीति को नई ऊंचाई पर पहुँचाने में उनका बड़ा योगदान है। उन्होंने पारंपरिक कूटनीति को वैश्विक मंचों पर निर्णायक शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया है। भारत अब नीति-निर्माण, रणनीतिक संतुलन और बहुपक्षीय गठबंधनों में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
आगामी महीनों में प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीतिक व्यस्तताएं भारत की विदेश नीति में एक सक्रिय और बहुआयामी दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। चीन, अमेरिका, जापान, रूस और क्वॉड देशों से जुड़ी बैठकें इस रणनीति का प्रमाण हैं। प्रधानमंत्री की संभावित चीन यात्रा शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण है। भारत-चीन तनाव के बीच यह मंच संवाद का अवसर बन सकता है, जो टकराव के बजाय समाधान को प्राथमिकता देने वाली भारत की नीति को रेखांकित करता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन की संभावना भारत की वैश्विक भूमिका को मजबूत करने का संकेत है। महासभा के अस्थायी वक्ताओं की सूची में उनका नाम 26 सितंबर 2025 को संबोधन के लिए अंकित है। यदि यह यात्रा होती है, तो भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताओं के संदर्भ में यह बेहद निर्णायक साबित हो सकती है।
जापान यात्रा क्वॉड के संदर्भ में अहम है। दोनों देश इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता और शांति के साझा लक्ष्य रखते हैं। तकनीकी, आधारभूत ढांचे और रक्षा क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने का यह अवसर होगा।
प्रधानमंत्री मोदी इस वर्ष रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा की मेजबानी भी करेंगे। यूक्रेन संकट के बाद वैश्विक स्तर पर रूस की भूमिका और पश्चिमी देशों से उसके संबंधों को देखते हुए यह पहल भारत की संतुलनकारी विदेश नीति को उजागर करती है।
नवंबर में भारत में प्रस्तावित क्वॉड बैठक भारत की बहुपक्षीय कूटनीति की परीक्षा होगी। चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच यह मंच भारत को समुद्री सुरक्षा, आपूर्ति श्रृंखला, तकनीकी नवाचार और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर नेतृत्व करने का अवसर देगा।
प्रधानमंत्री मोदी की इन यात्राओं और बैठकों से स्पष्ट है कि भारत अब केवल उभरती शक्ति नहीं रहा, बल्कि वैश्विक राजनीति का निर्णायक खिलाड़ी बन चुका है। उनकी विदेश यात्राएं अब प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि परिणामोन्मुखी हैं। भारत अब वैश्विक मंचों पर अपनी बात सुनवाने नहीं, मनवाने की स्थिति में है।
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