स्वतंत्रता दिवस पर मांस बिक्री पर रोक को लेकर राजनीतिक विवाद तेज
नई दिल्ली, 13 अगस्त। देश के कई नगर निगमों द्वारा स्वतंत्रता दिवस और कुछ जगहों पर जन्माष्टमी तक बूचड़खानों व मांस की दुकानों को बंद रखने के आदेश पर राजनीतिक विवाद गहराता जा रहा है। हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद नगर निकाय के निर्देश को निर्दयी और असंवैधानिक बताते हुए सवाल किया कि मांस खाने और स्वतंत्रता दिवस मनाने के बीच क्या संबंध है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना के 99% लोग मांस खाते हैं और यह प्रतिबंध लोगों के स्वतंत्रता, निजता, आजीविका, संस्कृति, पोषण और धर्म के अधिकार का उल्लंघन है।
महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर, कल्याण-डोंबिवली, मालेगांव और नागपुर सहित कई नगर निगमों के आदेशों पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन में भी इस पर मतभेद उभर आए हैं। उपमुख्यमंत्री और राकांपा नेता अजित पवार ने प्रतिबंध के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर यह आषाढ़ी एकादशी या महावीर जयंती पर होता तो समझ में आता, लेकिन ऐसे अवसर पर क्यों लागू किया जा रहा है।
भाजपा नेताओं ने 1988 के राज्य सरकार के आदेश का हवाला देकर इस प्रतिबंध का बचाव किया, जिसमें नगर निगमों को स्वतंत्रता दिवस और महावीर जयंती जैसे अवसरों पर ऐसे कदम उठाने का अधिकार दिया गया है।
विपक्षी दलों ने इस फैसले को शाकाहार थोपने और नागरिक मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश बताया। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने इसे "वास्तविक समस्याओं से ध्यान भटकाने की चाल" करार दिया। शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने आदेश जारी करने वाले नगर आयुक्तों को निलंबित करने की मांग करते हुए कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर क्या खाना है, यह लोगों का अधिकार है और इसमें दखल नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके अपने समुदाय सहित कई हिंदू समुदायों में त्योहारों के दौरान मांसाहारी प्रसाद चढ़ाने की परंपरा रही है।
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