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एअर इंडिया को चेतावनी: बैकसीट ड्राइविंग संस्कृति बंद करो, जिम्मेदारी के साथ मिले फैसला लेने का अधिकार

:: Editor - Omprakash Najwani :: 27-Jul-2025
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अहमदाबाद प्लेन क्रैश के बाद सरकार ने एअर इंडिया को लेकर सख्त रुख अपनाया है। टाटा संस और एअर इंडिया के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन के साथ हुई उच्च स्तरीय बैठक में दो अहम संदेश दिए गए हैं। पहला– सुरक्षा पर सीधा असर डालने वाले प्रमुख विभागों में बैकसीट ड्राइविंग यानी पर्दे के पीछे से फैसले लेने की संस्कृति को तत्काल खत्म किया जाए। दूसरा– जिन लोगों को पदों पर जिम्मेदारी दी गई है, उन्हें ही फैसले लेने का अधिकार भी मिलना चाहिए। केवल दिखावे के लिए जिम्मेदारी देना और गलती होने पर दोष मढ़ देना बेहद खतरनाक है।

25 जुलाई 2025 को केंद्रीय उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू, सचिव समीर कुमार सिन्हा और डीजीसीए प्रमुख फैज अहमद किदवई ने चंद्रशेखरन से मुलाकात की। इस बैठक में सुरक्षा को मजबूत करने के उपायों पर चर्चा हुई, जिस पर चंद्रशेखरन ने सहमति जताई।

मामले से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, सिक्योरिटी, ट्रेनिंग, मेंटिनेंस, इंजीनियरिंग और एकीकृत संचालन नियंत्रण केंद्र (IOCC) जैसे विभाग एयरलाइन संचालन की रीढ़ हैं। लेकिन इनमें कई जगह विरोधाभास की स्थिति है, जहां पद पर कोई और है, लेकिन फैसले किसी और के जरिए लिए जाते हैं। यह स्थिति न केवल संचालन को प्रभावित करती है बल्कि सुरक्षा के लिए भी जोखिम पैदा करती है। इन समस्याओं को सुलझाना अब प्राथमिकता में है।

12 जून 2025 को हुई एअर इंडिया-171 दुर्घटना और उसके बाद सामने आई अन्य घटनाओं के बाद मंत्रालय ने एअर इंडिया के मैनेजमेंट के साथ लगातार तीन दिनों तक बैठकें कीं। 21 जून को डीजीसीए ने एअर इंडिया के तीन अधिकारियों को क्रू शेड्यूलिंग में चूक के लिए हटाने का आदेश दिया था। साथ ही चेतावनी दी थी कि अगर यही स्थिति रही तो लाइसेंस रद्द करने तक की कार्रवाई की जा सकती है।

इस बीच, एक और संवेदनशील मुद्दा सामने आया है। दुर्घटनाग्रस्त विमानों के सीट और उपकरण गुरुग्राम स्थित ऑफिस में प्रदर्शन के लिए रखे गए हैं। अधिकारियों ने सुझाव दिया कि यह परंपरा बंद होनी चाहिए क्योंकि अधिकांश कर्मचारी इसे असहज मानते हैं, भले ही इसका उद्देश्य सुरक्षा की चेतावनी देना ही क्यों न हो।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि टाटा और सिंगापुर एयरलाइंस जैसे मजबूत भागीदारों के साथ एअर इंडिया के पास खुद को पुनः स्थापित करने का सुनहरा मौका है। सरकार सभी एअरलाइनों की मदद के लिए प्रतिबद्ध है और एअर इंडिया को मौजूदा संकट से बाहर निकालने के लिए हरसंभव सहयोग दे रही है। देश के पास एअर इंडिया और इंडिगो जैसे दो बड़े खिलाड़ी हैं, जो वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान को और मजबूत कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए उन्हें आंतरिक गड़बड़ियों और निर्णय प्रक्रिया की खामियों को दूर करना होगा।


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