मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 12 आरोपियों को किया बरी
19 साल बाद आया फैसला, कोर्ट ने सबूतों को अविश्वसनीय माना
11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है। इन धमाकों में 189 लोगों की मौत हुई थी और 824 लोग घायल हुए थे।
2015 में मकोका के तहत स्पेशल कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद इन 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था। पांच को मौत की सजा और सात को उम्रकैद दी गई थी। मौत की सजा पाने वालों में कमाल अंसारी, मोहम्मद फैसल अताउर रहमान शेख, एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी, नवीद हुसैन खान और आसिफ खान शामिल थे। इन सभी को धमाकों में बम लगाने का दोषी माना गया था।
उम्रकैद की सजा पाने वालों में तनवीर अहमद अंसारी, मोहम्मद मजीद शफी, शेख मोहम्मद अली आलम, मोहम्मद साजिद मरगूब अंसारी, मुजम्मिल अताउर रहमान शेख, सुहैल महमूद शेख और जमीर अहमद लतीफुर रहमान शेख शामिल थे।
कमाल अंसारी की 2021 में जेल में कोविड के दौरान मौत हो गई थी।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक की बेंच ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामला संदेह से परे साबित करने में विफल रहा। कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के अधिकतर गवाहों के बयानों को अविश्वसनीय करार दिया।
कोर्ट ने यह भी कहा कि धमाके के करीब 100 दिन बाद भी टैक्सी ड्राइवर या घटना स्थल पर मौजूद अन्य लोगों के लिए आरोपियों को पहचानना संदिग्ध है।
करीब 19 साल पुराने इस केस में आया यह फैसला कई सवाल भी खड़े करता है और न्याय प्रणाली के प्रति गंभीर चिंतन का विषय बन गया है।
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