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धनखड़ का इस्तीफा: बीमारी बहाना या राजनीतिक बिसात का नया मोहरा? नीतीश के लिए रास्ता खाली, केंद्र में नए समीकरण की आहट

:: Editor - Omprakash Najwani :: 22-Jul-2025
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने देश की सियासत में नई हलचल पैदा कर दी है। यह इस्तीफा एकाएक नहीं आया बल्कि इसके पीछे योजनाबद्ध तैयारी और गहरी राजनीतिक गणना की अटकलें लगाई जा रही हैं। धनखड़ ने सोमवार को मानसून सत्र के पहले दिन आठ नए सदस्यों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई, कार्यवाही स्थगित होने के बाद भी संसद में मौजूद रहे और दिनभर की गतिविधियों में हिस्सा लिया।

इसके दो दिन पहले उन्होंने पत्नी के जन्मदिन पर एक भव्य पार्टी आयोजित की, जिसमें लोकसभा टीवी व संसद स्टाफ समेत 800 से अधिक लोग शामिल हुए। इस आयोजन को लेकर कई लोगों ने इसे ‘फेयरवेल पार्टी’ जैसा बताया। इसी दौरान प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह और राजनाथ सिंह की राष्ट्रपति से मुलाकात और पीएम ऑफिस में उच्च स्तरीय बैठक की खबरें भी सामने आईं।

सूत्रों के अनुसार, शाम 6 बजे के आसपास उन्हें सत्ताधारी दल से संदेश गया कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के लिए जरूरी संख्या में विपक्षी सांसदों के हस्ताक्षर जुट चुके हैं। कुछ घंटों बाद ही उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंप दिया।

मंगलवार को धनखड़ राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता नहीं कर पाए। अब कार्यवाही की जिम्मेदारी उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह को दी गई है, जो जदयू से हैं। यह स्थिति बिहार के लिहाज़ से अहम मानी जा रही है। चर्चा है कि नीतीश कुमार को अगला उपराष्ट्रपति बनाया जा सकता है, जिससे बिहार चुनाव से पहले बीजेपी उन्हें साध सके। भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर की टिप्पणी ने इस अटकल को और बल दिया।

सोमवार को उपराष्ट्रपति और सरकार के बीच तनाव के संकेत भी दिखे। धनखड़ ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ विपक्षी सांसदों का महाभियोग नोटिस स्वीकार किया, लेकिन राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में नड्डा और रिजिजू के नहीं आने को राजनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है। नड्डा की टिप्पणी—"रिकॉर्ड में वही जाएगा जो मैं कहूंगा"—को कांग्रेस ने उपराष्ट्रपति के अपमान के रूप में पेश किया।

धनखड़ के न्यायपालिका के खिलाफ तीखे तेवर भी सरकार के भीतर कुछ लोगों को नागवार गुजर रहे थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एनजेएसी फैसले की आलोचना कर न्यायिक अतिक्रमण के खिलाफ खुलकर बोलते रहे।

इस सबके बीच सवाल उठता है: क्या यह इस्तीफा वाकई स्वास्थ्य कारणों से दिया गया, या फिर यह एक नई राजनीतिक पटकथा की भूमिका है? मीमक्री विवाद हो या जया बच्चन प्रकरण, पार्टी से पर्याप्त समर्थन नहीं मिलने की नाराजगी भी चर्चा में है।

फिलहाल सरकार की ओर से कोई फेयरवेल या औपचारिक सूचना जारी नहीं हुई है। कानून कहता है कि जब तक नया उपराष्ट्रपति नहीं चुना जाता, तब तक वर्तमान उपराष्ट्रपति ही कार्यभार संभालते हैं। लेकिन ऐसा नहीं होगा, यह भी साफ होता जा रहा है।

अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि प्रधानमंत्री मोदी अगला उपराष्ट्रपति किसे बनाते हैं और इससे आगामी लोकसभा चुनाव और बिहार चुनाव की रणनीति कैसी आकार लेती है।


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